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शारदा चिट फंड ने अस्सी के दशक की यादें कर दी ताजा

शारदा चिट फंड ने अस्सी के दशक की यादें कर दी ताजा

प्रकाशित: 23 अप्रैल 2013

कोलकाता, पश्चिम बंगाल सरकार ने चिट फंड कंपनी शारदा गुप के डूब जाने से हुए नुकसान को कम करने के लिए कदम उए हैं, वहीं इस घटना ने अस्सी के दशक के शुरूआत में संचयिता इनवेस्टमेंट्स के धराशाई होने की यादें ताजा कर दी हैं जब कई निवेशकों और एजेंटें ने आत्महत्या कर ली थी।

संचयिता ने अपने कार्यालयों पर छापा पड़ने से पहले 1980 के दशक में 120 करोड़ रूपये से अधिक जमा किए थे और इसके बंद होने पर महज कुछ लोगें को बहुत कम मात्रा में रकम मिल पाई थी। कंपनी के दो प्रमुख प्रवर्तकों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से शंभू मुखर्जी ने आत्महत्या कर ली थी और स्वप्न गुहा को अदालत ने दिवालिया घोषित कर दिया।  एक अन्य आरोपी बिहारीलाल मोरारका अभी तक फरार है।

निवेशकों के और एजेंटें के बारे में आत्महत्या की कई खबरें सुनने को मिली और कुछ लोग 30 साल बाद अभी तक अदालत से आस लगाए बै"s हैं।  पश्चिम बंगाल सरकार ने एक विशेष जांच टीम एसआईटीः ग"ित करने और शारदा ग्रुप के ध्वस्त होने के बाद चिट फंड कंपनियों की एक उच्च स्तरीय जांच की घोषणा की है। दरअसल, पूंजी बाजार नियामक सेबी ने नियमों का उल्लंघन करने पर चिट फंड कंपनियें पर नकेल कसना शुरू किया जिससे ग्रुप के वित्त पर दबाव पड़ा और शारदा ग्रुप का चिट फंड का बुलबुला फूट गया।

कंपनी मामलों के केंदीय मंत्री ने शारदा ग्रुप और इस तरह की कंपनियें पर लगाए गए वित्तीय अनियमितता और रकम भुगतान करने में नाकाम रहने के आरोपों की जांच शुरू कर दी।  शारदा ग्रुप से जुड़े तीन लोगें के आत्महत्या कर लेने के बाद राज्य सरकार हरकत में आई। ये लोग या तो निवेशक थे या फिर ग्रुप के एजेंट थे।  दरअसल शारदा ग्रुप के अध्यक्ष सुदिप्तो सेन के फरार होने के बाद राज्य के कई हिस्सें में प्रदर्शन शुरू हो गया था।  तृणमूल कांग्रेस अपने सांसद कुनाल घोष के इस्तीफे की मांग के बाद फिलहाल बचाव की मुदा में है। वह शारदा गुप के मीडिया विभाग के समूह मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे। ग्रुप ने बंगाली, अंग्रेजी, हिन्दी और उर्दू के कई अखबारों का अधिग्रहण किया था और कई समाचार और मनोरंजन चैनल शुरू किए थे।

राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि उनकी तृणमूल कांग्रेस सरकार पारदर्शी है और कानून अपना काम करेगा।  राज्य की विपक्षी माकपा और कांग्रेस आरोप लगा रही है कि तृणमूल कांग्रेस चिट फंड पर खामोश है वहीं, ममता ने कहा है कि चूंकि चिट फंड का काम केंदीय कानून से विनियमित होता है इसलिए इस मामले में केंद सरकार का दायित्व बनता है। ममता ने पूर्व की वाम मोर्चा सरकार को जिम्मेदार "हराते हुए कहा, ऐसा वाम शासन के दौरान हुआ कि राज्य में चिट फंड का कारोबार कुकुरमुत्ते की तरह उग गया। वे क्या कर रहे थे? इस पर, पूर्व वित्त मंत्री एवं माकपा नेता असीम दासगुप्ता ने कहा, हमने शारदा ग्रुप और कुछ अन्य चिट फंड कंपनियें के खिलाफ कुछ कार्रवाई शुरू की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार शुरू से ही इनके खिलाफ सुस्त रवैया अपनाए हुए है।  प्रख्यात अर्थशास्त्राr दासगुप्ता के मुताबिक पिछले कुछ साल से शारदा ग्रुप सहित करीब 15 बड़ी चिट फंड कंपनियां राज्य में चल रही हैं।   एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि यह मुद्दा तृणमूल के ग्रामीण वोट बैंक पर असर डाल सकता है।

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