इस्लामाबाद,पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के राजनीति में वापसी के मंसूबों पर लगभग पूरी तरह से पानी फेरते हुये एक प्रांतीय हाई कोर्ट ने आज उन पर आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया जबकि आज ही एक अन्य अदालत ने 11 मई को होने वाले आम चुनाव के तीन दिन बाद तक के लिये उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
मुख्य न्यायाधीश दोस्त मुहम्मद खान की अध्यक्षता वाली पेशावर हाई कोर्ट के चार न्यायाधीशों की पी" ने यह प्रतिबंध लगाया और मुशर्रफ की 11 मई को होने वाले आम चुनाव के लिये नामांकन पत्र को नामंजूर किये जाने को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया। पी" ने कहा कि आजीवन प्रतिबंध इसलिये लगाया गया है क्योंकि मुशर्रफ ने दो बार संविधान को निरस्त किया और वर्ष 2007 में आपातकाल के दौरान न्यायाधीशों को हिरासत में लिया। उसने कहा कि मुशर्रफ को राष्टीय, प्रांतीय और सीनेट के चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाता है। इस बीच मुशर्रफ को चुनाव का दिन नजरबंदी में बिताना होगा क्योंकि पाकिस्तान की एक आतंकवाद विरोधी अदालत ने वर्ष 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले में पूर्व राष्ट्रपति को आज 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के मुख्य अभियोजक जुल्फिकार अली ने बताया कि सुरक्षा कारणों से मुशर्रफ को अदालत में आज पेश नहीं किया जा सका। अदालत ने 69 साल के मुशर्रफ को भले ही 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा है, लेकिन वह इस्लामाबाद के बाहरी इलाके चक शहजाद स्थित अपने फार्महाउस में रहेंगे। उनके इस फार्महाउस को उप कारागार' घोषित किया गया है। आतंकवाद विरोधी अदालत ने इस मामले की सुनवाई 14 मई तक के लिए स्थगित कर दी। पाकिस्तान में 11 मई को आम चुनाव हो रहा है और इसी में हिस्सा लेने के मकसद से मुशर्रफ चार साल के स्वनिर्वासन के बाद पाकिस्तान लौटे थे। मुशर्रफ को चुनाव लड़ने से पहले ही अयोग्य करार दिया जा चुका है जिससे उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं खत्म हो गई हैं।
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