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पर्यटन के विकास में सरकार की भूमिका को नियंत्रक के बजाय प्रेरक के तौर पर पुन: परिभाषित किया गया है। विपणन और संवर्धन के अलावा, पर्यटन विकास संबंधी योजनाओं का अब विशेष ध्यान विभिन्न हितधारकों के साथ प्रभावी भागीदारी के जरिए बुनियादी ढ़ांचे के एकीकृत विकास पर है। 12 वीं पंचवर्षीय योजना की कार्य नीति के अनुसार पर्यटन मंत्रालय ने 'गरीबों के अनुकूल पर्यटन' के दृष्टिकोण को अपनाया है जो गरीबी घटाने में महत्वपूर्ण रूप से योगदान दे सकता है। यह जानकारी वर्ष 2012-13 के लिए पर्यटन मंत्रालय की आज जारी वार्षिक रिपोर्ट में दी गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यटन मंत्रालय संपूर्ण देश में पर्यटन अवसंरचना में वृद्धि करने हेतु सतत प्रयास कर रहा है। वर्ष 2012-13 के दौरान निधियां प्रदान करने हेतु परियोजनाओं को प्राथमिकता प्रदान करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ विचार-विमर्श किया गया तथा चिन्हित 54 मेगा पर्यटन परियोजनाओं में से 40 परियोजनाओं को जनवरी, 2013 के अंत तक मंज़ूर किया जा चुका था। मेगा परियोजनाएं संस्कृति, विरासत, आध्यात्म और इको-टूरिज़म का उचित मिश्रण हैं जिसका उद्देश्य पर्यटकों को संपूर्ण आनंद उपलब्ध कराना है। रिपोर्ट के अनुसार पर्यटन मंत्रालय का 50 प्रतिशत से अधिक योजना बजट गंतव्यों, परिपथों, मेगा परियोजनाओं के साथ-साथ ग्रामीण पर्यटन संबंधी अवसंरचना परियोजनाओं के विकास हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध के लिए इस्तेमाल होता है। पर्यटन मंत्रालय ने यह सुनिश्चित किया है कि इसकी वार्षिक योजना का 10 प्रतिशत और 2.5 प्रतिशत खर्च क्रमश: पूर्वोत्तर क्षेत्र और जनजातीय क्षेत्र की पर्यटन परियोजनाओं के लिए हो। वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय की 'हुनर से रोजगार' योजना के तहत चालकों, गोल्फ कैडिज़, राजमिस्त्री, सुरक्षा गार्ड और पर्यटक सुविधा प्रदाताओं आदि जैसे व्यवसाय/प्रशिक्षण क्षेत्र जोड़े गए हैं। आतिथ्य और पर्यटन क्षेत्र में कौशल के अंतर को कम करने में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 31 जनवरी, 2013 तक इस पहल के अंतर्गत 21,175 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के परिणाम बढ़ाने और नए क्षेत्रों तक पहुंच बढ़ाने के लिए यह मंत्रालय नवीन दृष्टिकोण अपना रहा है। इन प्रयासों में विभिन्न जेलों में बंद कैदियों विकलांग व्यक्तियों (मूक एवं बधिर) बाल गृह के बच्चों, हेरिटेज वॉक एस्कॉर्ट और सेवा प्रदाताओं आदि को प्रशिक्षण देना शामिल है। देश में सुदूर तथा पिछड़े क्षेत्रों के विकास में पर्यटन के सहयोग को सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2012-13 से पर्यटन मंत्रालय के कुल योजना परिव्यय का 2.5 प्रतिशत जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) के अंतर्गत जनजातीय क्षेत्रों के लिए रखा गया। गांवों के जीवन, कला, संस्कृति और विरासत को दर्शाने के उद्देश्य से मंत्रालय ने वर्ष 2002-03 में ग्रामीण पर्यटन योजना शुरू की थी। इस योजना के प्रारंभ से पर्यटन मंत्रालय ने अब तक 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 186 गांवों में ग्रामीण पर्यटन परियोजनाओं को स्वीकृती दी है। इनमें से 56 स्थल पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित हैं। मंत्रालय ने सरकारी व्यावसायिक स्कूलों, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई), पॉलिटेकनिक संस्थानों, सरकारी कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के माध्यम से आतिथ्य शिक्षा को मुख्यधारा में लाने का भी निर्णय लिया है। केंद्रीय सहायता सभी को उपलब्ध होगी। यह सहायता पाठ्यक्रमों/प्रशिक्षणों हेतु आवश्यक अवसंरचना के सृजन हेतु उपयोग की जा सकती है। आतिथ्य शिक्षा को व्यापक बनाने की नीति के अंतर्गत नए आतिथ्य पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए अब तक 31 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, 7 डिग्री कॉलेजों, 4 पॉलिटेकनिकों, 26 स्कूलों और 15 विश्वविद्यालयों को अनुदान प्रदान किया गया है। |
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