लेखक डा. राज कुमार सिंह ने अपनी पुस्तक 10 मिनट सोचें अपने लिए में जिंदगी की कुछ गूढ़ सच्चाइयों का बखान किया है। उन्होंने इस पुस्तक में बताया है कि जिंदगी का असली अर्थ है चुनौतियों और परेशानियों से जूझना और उसे हंसते खेलते सुलझाना। उन्होंने इस पुस्तक में यह बताने की पुरजोर हिमायत की है कि समय की कमी के चलते अपनी छोटी-छोटी खुशियों को बेकार न जाने दें। जिम्मेदारियां निभाएं। जिंदगी में झोल पैदा करने की जरूरत नहीं है। सभी के प्रति समान दृष्टिकोण अपनाएं। किसी के साथ पक्षपात न करें। हमारी जिंदगी की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि हम अपना हर दिन कैसे बिताते हैं। एक-एक दिन से ही तो पूरी जिंदगी का लेखा जोखा तैयार होता है। हम कब जांगें, कब सोएं, क्या खाएं, कैसा व्यवहार करें, क्या कार्य करें, क्या न करें, क्या पहनें वगैरह वगैरह। अकसर हम आने वाले सुनहरे कल के इंतजार में सारी उम्र बिता देते हैं। हम उस दिन या पाल के बारे में सोचते रहते हैं जब हमें खुशियां मिलेंगी लेकिन ऐसा दिन कभी नहीं आता। हम उस आने वाले दिन के लिए न जाने कितने सपने बुनते हैं। उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं कि कब हमारे सारे कष्ट मिट जाएंगे और हम चैन से बाकी के दिन गुजारेंगे। इसलिए मस्ती से जीएं, बिंदास रहें। सब कुछ भूल कर कुछ समय हर दिन से चुराएं। अपने दिमाग मे यह बात यकीन के साथ ब ठा लें कि आप जीवन में आगे बढ़ रहे हैं यानी सफल हो रहे हैं। आपको कुछ भी नुकसान नहीं उठाना पड़ रहा है। इस छवि को धुंधला न होने दें। नकारात्मक विचारों को मिटाने के लिए सकारात्मक विचार तैयार रखें। दूसरे सफल लोगों को देखकर आप अपने अंदर कोई भी हीन भावना न पनपने दें और न ही ऐसे व्यक्तियों की नकल करने की कोशिश करें।
-समीक्षक
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