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भारत-तिब्‍बत सीमा पुलिस ने केदारनाथ, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब से 15257 पीड़ितोंको बचाया


केदारनाथ, गौरीकुंड, गोविन्‍दघाट, पांडुकेश्‍वर, कर्णप्रयाग, बद्रीनाथ और उत्‍तरकाशी से कुल 15257 पीड़ितोंको बचाया गया। भारत-तिब्‍बत सीमा पुलिस के दलों ने केदारनाथ, गौरीकुंड, गोविन्‍दघाट, पांडुकेश्‍वर, कर्णप्रयाग, बद्रीनाथ और उत्‍तरकाशी में फंसे हजारों यात्रियों को राहत और बचाव सेवाएं पहुंचार्इं हैं।

गोविंदघाट क्षेत्र से 1200 से अधिक पीड़ितोंको बचाकर जोशीमठ लाया गया। बचाव कार्य कल भी जारी रहेगा।

भारत-तिब्‍बत सीमा पुलिस ने केदारनाथ मंदिर क्षेत्र से सभी पीड़ितोंको निकाल लिया है। बहरहाल रामबाड़ा क्षेत्र से पीड़ितोंको पैदल निकालकर केदारनाथ क्षेत्र तक लाया जा रहा है, जहां से उन्‍हें हवाई मार्ग से निकाला जाएगा। कल एक बड़ा हेलीपैड तैयार किया जाएगा जहां से एमआई-17 हेलीकाप्‍टर उड़ान भरेंगे। इसके साथ ही बचाव अभियान में और तेजी आ जाएगी।

राष्‍ट्रीय आपदा राहत बल और भारत-तिब्‍बत सीमा पुलिस के दल अब निकटवर्ती इलाकों में पीड़ितोंकी तलाश कर रहे हैं। भारत-तिब्‍बत सीमा पुलिस ने गौरीगांव से 350 और रामबाड़ा से 275 पीड़ितोंको हवाई मार्ग से निकाला है। इन लोगों को निकाल कर उन्‍हें निचले इलाकों में लाया गया है जहां से उन्‍हें हवाई मार्ग द्वारा आगे भेजा जाएगा। इसी तरह निकटवर्ती इलाकों में फंसे हुए ग्रामीणों को निकाल कर निचले इलाकों में लाया जा रहा है। 

आज भारत-तिब्‍बत सीमा पुलिस के दल पैदल मार्ग से गौरीकुंड से सोनप्रयाग पहुंचे और उन्‍होंने पैदल मार्ग से ही 500 पीड़ितोंको निकाला।

सबसे महती कार्य बद्रीनाथ क्षेत्र में हुआ जहां 10000 से अधिक लोग फंसे हैं। भारत-तिब्‍बत सीमा पुलिस अलकनंदा नदी पर लमबागढ़ पुल के स्‍थान एक रज्‍जु-पुल बनाया। बद्रीनाथ से पैदल मार्ग द्वारा 400 पीड़ितों को बचाया गया है, जिन्‍हें पांडुकेश्‍वर तक लाया गया है। पांडुकेश्‍वर में एक शिविर तैयार किया गया है जहां यह पीडि़त रात बिताएंगे और उन्‍हें भोजन और चिकित्‍सा उपलब्‍ध कराई जाएगी। कल उन्‍हें जोशीमठ के लिए रवाना किया जाएगा।

तेजी से बहती हुई धाराओं पर दो लकड़ी के पुलों का निर्माण किया गया जिनका उपयोग नजदीक की पहाड़ियों पर फंसें 200 ग्रामीणों को बचाने के लिए किया गया। केदारनाथ, गोविंदघाट, घागानरिया एवं बद्रीनाथ की ठंडी एवं कठिन जलवायु स्थितियों में 10,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर राहत कार्य करना अत्यंत कठिन एवं खतरनाक है। आईटीबीपी के जवान सुबह से लगातार राहत और बचाव कार्य कर रहे हैं।

केदारनाथ, गौरीकुंड, गोविंदघाट, प़डुकेश्वर, करनप्रयाग, बद्रीनाथ तथा उत्तरकाशी में फंसें हुए हजारों यात्रियों के बचाव और राहत कार्यों में माउंटेनियरिंग एवं स्काईंग इंस्टीट्यूट की तीन बटालियन एवं कर्मचारी लगे हुए हैं। चार धाम यात्रा के सभी रास्ते बद्रीनाथ –जोशीमठ-केदारनाथ-यमोनत्रीएवं गंगोत्री भारी वर्षा, भूंस्खलन, खाद्य, ढांचागत कठिनाइयों आदि के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।

आईटीबीपी ने अपने कई डाक्टरों तथा अपनी मेडिकल टीम को भी वायु मार्ग से अत्यावश्यक दवाइयों सहित बुला लिया है। पीड़ितों को गुप्तकाशी, रूद्रप्रयाग तथा गाचर जैसे सुरक्षित स्थानों पर लाया जा रहा है। आईटीबीपी ऐसे आहत-पीड़ितों को राहत पहुंचाने में ज्यादा ध्यान दे रही है जिनके पास जीवन की सुरक्षा के लिए आश्रय तथा सहायता का अभाव है। कल और राहत टीमें, राहत सामान, खाद्य भेजा जाएगा। हेमकुंड साहिब के रास्ते में घागरिया तथा गोविंदघाट के नजदीक फंसे हुए हजारों यात्रियों को आईटीबीपी तथा स्थानीय प्रशासन राहत एवं बचाव कार्य कर रहा है। जैसा कि रास्ते और ट्रक पूरी तरह से बह गए, आज वहां पर आईटीबीपी की माउंटेनिरिंग टीम को राहत कार्यों के लिए लगाया गया

सैकड़ों पीड़ितों को जोशीमठ में आईटीबीपी के विभिन्न शिविरों में रखा गया है। 600 से ज्यादा पीड़ितों को आईटीबीपी के आपातकालीन राहत शिविर और मेडिकल सेंटर में पनाह दी गई है। उत्तरकाशी जिले में भारी बारिश, भू-स्खलन, टूटी सड़कों, और बाढ़ से प्रभावित तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। उन्हें आईटीबीपी की ओर से भोजन, आश्रय और मेडिकल सुविधा दी जा रही है।

केदारनाथ और बद्रीनाथ में अब भी हजारों तीर्थयात्री फंसे हैं। आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन तलाशी और बचाव अभियान चला रहा है। सभी प्रभावित यात्रियों को आईटीबीपी पेयजल, भोजन और मेडिकल सुविधा मुहैया करा रहा है।

जगह-जगह पर कई फुट ऊंचे मलबों के ढेर लगे हैं। जगह-जगह टूटे पत्थर और ऐसी ही कई चीजें बिखरी पड़ी हैं।

आईटीबीपी यह दल पहाड़ों पर बचाव कार्य चलाने में बेहतर प्रशिक्षित हैं। ये पहाड़ी इलाके के आदी है और ऊंचाई पर राहत काम करने के लिए विशेष उपकरणों से लैश हैं। 

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