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टूटी सड़कों की मरम्मत और राशन आपूर्ति पर ध्यान देने की जरूरत रावत






नई दिल्ली,  केन्दीय जलसंसाधन मंत्री हरीश रावत ने कहा है कि उत्तराखंड में टूटी सड़कों की मरम्मत और उढंचे पर्वतीय इलाकों में राशन आपूर्ति शुरू किये जाने की आवश्यकता है।
रावत पिछले तीन दिन से उत्तराखंड की यात्रा पर हैं और कई किलोमीटर पैदल चलकर वह फिलहाल रुदप्रयाग में हैं। जगह जगह सड़कें टूटी होने की वजह से वह कहीं पैदल चलकर और कहीं बीच में मोटरसाइकिल अथवा स्थानीय वाहनों से गंतव्य तक पहुंच रहे हैं। रुदप्रयाग बाजार से फोन पर बातचीत में रावत ने कहा कल अगस्त्यमुनि गया था, शाम को नारायणबगड़ पहुंचा, सड़कें टूटीं हुई हैं, थराली, पिंडरघाटी में काफी नुकसान हुआ है।
नारायणबगड़ बड़ा एतिहासिक बाजार समाप्त हो चुका है। सुमाड़ी और सिलवाड़ा दोनों बाजार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुये हैं। मंदाकिनी नदी के कहर से इन क्षेत्रों को काफी नुकसान हुआ है। विजयनगर बाजार का तो अस्तित्व ही समाप्त हो गया।
रावत ने कहा कि सड़कें टूटी होने की वजह से स्थानीय जनता को राशन पानी की तंगी सताने लगी है। फंसे पर्यटकों को निकाले जाने के बाद अब स्थानीय जनता की सुध लिये जाने की आवश्यकता है। उनके लिये आटा, चावल, दाल और तेल की आपूर्ति पहुंचाये जाने की जरूरत है। स्थानीय लोगों के घर टूट गये हैं, सिर पर छत नहीं हैं, राज्य प्रशासन को अब उनकी सुध लेनी चाहिये।   रावत ने बताया कि वह शनिवार को रिषिकेश से निकले थे। रिषिकेश से श्रीनगर होते हुये वह रुदप्रयाग पहुंचे। 
उसके बाद 13.... 14 किलोमीटर पैदल चलकर अगस्त्यमुनि तक पहुंचे। कल शाम को वह गौचर भी गये। रुदप्रयाग, बदीनाथ और केदारनाथ यात्रा का मुख्य आधार स्थल है। यहां से अगस्त्यमुनि करीब 20 किलोमीटर और गुप्तकाशी 39 किलोमीटर है।
हरिद्वार से सांसद रावत ने कहा कि केदारनाथ की मंदाकिनी नदी घाटी में दोनों तरफ बसे 70 से 80 गांव में करीब करीब हर परिवार को जानमाल का नुकसान हुआ है। क्षेत्र के लमगोंडी गांव में तो 22 लोग मारे गये। अलकनंदा घाटी की तरफ नारायणबगड, खराली और देवप्रयाग में भी काफी नुकसान हुआ है।
केन्दीय मंत्री ने कहा केदारनाथ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। यहां सड़कें टूट जाने की वजह से कई जगह स्थानीय लोग भी फंसे हुये हैं। उन तक राशन पहुंचाने की आवश्यकता है। कुछ स्थानों पर टेलीफोन संपर्क स्थापित हो गया है लेकिन दूरदराज के इलाके हैं जो पूरी तरह कटे हुये हैं। यहां भोजन के पैकेट नहीं बल्कि टूटी सड़कों को जोड़ने के रास्ता खोलने और इन लोगों तक तेल, दाल, चावल पहुंचाने की आवश्यकता है।

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