भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 15 जून 2007 को ‘दूरसंचार उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण कोष अधिनियम, 2007’ (2007 का 6) जारी किया था। नियम के अनुसार सेवा प्रदाताओं द्वारा उपभोक्ताओं से एकत्र की गई अधिक धनराशि को कॉर्पोरेशन बैंक में बनाए गए एक पृथक खाते के उपरोक्त कोष में हस्तांतरित किया जाता है। इस फंड के अलावा धनराशि का एक बड़ा हिस्सा कार्पोरेशन बैंक के सावधि जमा खाते में रखा जाता है।
ऐसा देखा जा रहा है कि इस कोष के लिए विभिन्न बैंकों द्वारा अलग-अलग ब्याज दरों का प्रस्ताव किया जा रहा है और इस मामले में कॉर्पोरेशन बैंक की तुलना में अन्य बैंक उच्चतर ब्याज दरों का प्रस्ताव कर रहे हैं तो इसका दृष्टांत लिया जा सकता है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह महसूस किया गया कि उच्चतर ब्याज दरों का लाभ उठाने के लिए इस अधिनियम में अन्य अधिसूचित बैंकों को भी शामिल किया गया है और इसी के अनुरूप संबंधित प्रावधानों में संशोधन किया जा चुका है।
ट्राई में प्रावधानों को फिर से गठित करने के कारण सीयूटीसीईएफ के सदस्य ट्राई के संशोधन को उपयुक्त बताते हैं। इसके अलावा वर्तमान अधिनियम लेखा परीक्षक की पुन: नियुक्ति के लिए किसी विशेष अवधि का भी निर्धारण नहीं करता। प्राधिकरण ने लेखा परीक्षक की पुन: नियुक्ति के लिए निश्चित अवधि को तय करने का भी फैसला किया और इसी के अनुरूप संशोधन में संशोधित में टीसीईपीएफ की लेखा परीक्षा के लिए लेखा परीक्षक की पुन: नियुक्ति की अधिकतम अवधि 3 वर्ष तय की जा चुकी है।
इस अधिनियम का पूरा विवरण ट्राई की वेबसाइट www.trai.gov.in पर उपलब्ध है। अन्य किसी स्पष्टीकरण के लिए श्री ए. रॉबर्ट जे. रवि, सलाहकार (क्यूओएस) से निम्न दूरभाष नंबर पर संपर्क किया जा सकता है
निवेदन :- अगर आपको लगता है की ये लेख किसी के लिए उपयोगी हो सकता है तो आप निसंकोच इसे अपने मित्रो को प्रेषित कर सकते है