नई दिल्ली इटली के विवादास्पद कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि का दिल का दौरा पड़ने के बाद मिलान में निधन हो गया। उनका नाम बोफोर्स रिश्वतखोरी घोटाले को लेकर सुर्खियों में रहा।
क्वात्रोच्चि के परिवार के एक सदस्य ने इटली के शहर मिलान से फोन पर पीटीआई को बताया कि 74 वर्षीय क्वात्रोच्चि का निधन कल हो गया और उनका अंतिम संस्कार सोमवार को किया जाएगा। सीबीआई द्वारा 1999 में बोफोर्स मामले में दाखिल आरोपपत्र में क्वात्रोच्चि का नाम भारतीय सेना को स्वीडिश होवित्जर तोपों की आपूर्ति के लिए 64 करोड़ रुपये की रिश्वत से जुड़े मामले में एक आरोपी के तौर पर आया था।
वह भारत में इटली की एक कंपनी के ाढ यहां की तीस हजारी अदालत ने 4 मार्च, 2011 को क्वात्रोच्चि को रिश्वतखोरी के मामले से बरी कर दिया। इस मामले में सीबीआई को उनके खिलाफ अभियोजन को वापस लेने की इजाजत दे दी गयी। जिसके बाद 25 साल पुराने बोफोर्स मामले में एक बड़ा अध्याय समाप्त हो गया। सरकारी अभियोजक ने 3 अक्तूबर, 2009 को क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामले को वापस लेने का आवेदन किया था। सीबीआई ने क्वात्रोच्चि का प्रत्यर्पण भारत कराने के प्रयास किये लेकिन सफलता नहीं मिली। भारत की दो प्रत्यर्पण अपीलों पर सफलता नहीं मिली। एक अपील मलेशिया में 2002 में की गयी थी और उसके बाद दूसरी 2007 में अर्जेंटीना में दाखिल की गयी।
क्वात्रोच्चि गिरफ्तारी से बचने के लिए 1993 में भारत से चले गये। रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने हाल ही में कहा था कि सरकार की बोफोर्स मामले में नये सिरे से जांच की कोई योजना नहीं है और चूंकि क्वात्रोच्चि को मामला दर्ज होने के 20 साल बाद भी प्रत्यर्पित नहीं कराया जा सका इसलिए वह `आरोपमुक्त' हैं। एंटनी ने संसद में कहा था कि सीबीआई के पास बोफोर्स मामले में क्वात्रोच्चि की गिरफ्तारी के लिहाज से कोई साक्ष्य होने से पहले वह 29-30 जुलाई, 1993 को भारत से चले गये थे।
बोफोर्स घोटाले के चलते कांग्रेस और राजीव गांधी को 1989 के आम चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विनोद यादव ने अपने 73 पन्नों के अपने आदेश ंमें इतालवी नागरिक को आरोपमुक्त करते हुए कहा था कि सीबीआई ने करीब 21 साल तक मशक्कत की लेकिन मामले में साजिश के संबंध में कानूनी तौर पर पुख्ता सबूत नहीं पेश कर सकी। उन्होंने कहा था कि क्वात्रोच्चि के खिलाफ 64 करोड़ रुपये की कथित रिश्वतखोरी का मामला है और सीबीआई 2005 तक इस मामले में जांच पर करीब 250 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है जो पूरी तरह सरकारी धन की बर्बादी है। सीबीआई ने अभियोजन को वापस लेने के लिए 2009 में जो आधार बताये थे, उनमें कहा गया था कि 1990 में पहला मामला दर्ज होने के बाद से 19 साल से ज्यादा समय गुजर गया है, सभी अन्य आरोपियों की मौत हो चुकी है या उनके खिलाफ कार्यवाही को दिल्ली उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया, मलेशिया और अर्जेंटीनासे क्वात्रोच्चि के प्रत्यर्पण की कोशिशें नाकाम रहीं और दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2004 में लोक सेवकों के साथ भ्रष्टाचार या साजिश के आरोपों को खारिज कर दिया था।
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