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वयोवद्ध अभिनेता प्राण का लंबी बीमारी के बाद आज शाम एक अस्पताल में निधन


  

मुंबई,  वयोवद्ध अभिनेता प्राण का लंबी बीमारी के बाद आज शाम एक अस्पताल में निधन हो गया। बॉलीवुड की कुछ बेहतरीन फिल्मों `मिलन', `मधुमती', `जंजीर' और `राम और श्याम' में काम करने वाले प्राण 93 वर्ष के थे।उनका अंतिम संस्कार कल दोपहर शिवाजी पार्क शवदाह गृह में किया जायेगा।उनकी पुत्री पिंकी ने को बताया, ``लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।''हिन्दी सिनेमा में खलनायक और चरित्र अभिनेता की भूमिकाएं निभाने वाले प्राण को इसी वर्ष अप्रैल में हिन्दी सिनेमा के सर्वश्रेष्" सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था। वह पिछले एक महीने से लीलावती अस्पताल में भर्ती थे।उनकी प़ुत्री ने बताया, ``वह स्वस्थ नहीं रह रहे थे, बहुत कमजोर हो गए थे। उनका स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था।

''सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने वयोवृद्ध अभिनेता प्राण के निधन पर शोक व्यक्त किया है।अपने शोक संदेश में तिवारी ने कहा, ``भारतीय सिनेमा ने आज एक आइकन खो दिया, एक ऐसा अभिनेता जिसने पिछले कई दशकों में निभाए गए अपने हर किरदार के साथ एक्शन का एक नया प्रतिमान तय किया।'' प्राण ने 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। कश्मीर की कली, खानदान, औरत, बड़ी बहन, जिस देश में गंगा बहती है, हाफ टिकट, उपकार, पूरब और पश्चिम, और डॉन जैसी फिल्मों में प्राण ने अपनी विलेन की भूमिका से लोगों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ी है।12 फरवरी 1920 को पुरानी दिल्ली में जन्मे प्राण की शिक्षा कपूरथला, उन्नाव, मेर", देहरादून और रामपुर आदि जगहों पर हुई। 

प्राण के पिता लाला केवल कृष्णन सिकंद सरकार नौकरी में थे।शुरूआती दिनों में प्राण फोटोग्राफर बनना चाहते थे लेकिन भाग्य ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था। एक फिल्म निर्माता के साथ अचानक हुई मुलाकात के बाद उन्हें वर्ष 1940 में पहली फिल्म पंजाबीः `यमला जट' में ब्रेक मिला।वहां से प्राण ने बतौर अभिनेता कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उसके बाद उन्होंने चौधरी 1941, खानदान 1942, कैसे कहूं 1945 और बदनामी 1946 आदि में काम किया।विभाजन के बाद प्राण अपनी पत्नी शुक्ला, पुत्रों अरविन्द और सुनील के साथ मुंबई वापस आ गए लेकिन उनके लिए यह समय आसान नहीं रहा। उन्हें काम पाने में तमाम मुश्किलें आईं। प्राण ने तो आशा ही छोड़ दी थी लेकिन तभी सादत हसन मंटो ने देव आनंद स्टारर `जिद्दी' 1948 में उन्हें एक रोल दिया जो उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट सिद्ध हुआ।
वर्ष 1969 से 1982 तक प्राण हिन्दी सिनेमा में लगभग हर अभिनेता के खिलाफ खलनायक की भूमिका में रहे। मधुमति, जिस देश में गंगा बहती है, राम और श्याम और देवदास जैसी फिल्मों के लिए प्राण को अभिनेताओं के बराबर धन और सम्मान मिला।विलेन की भूमिका निभाते-निभाते एक ऐसा वक्त आया जब लोगों ने अपने बच्चों का नाम प्राण रखना छोड़ दिया। लोग उनके नाम से नफरत करने लगे। उसी दौरान `उपकार' फिल्म में `मंगल चाचा' की भूमिका निभाकर प्राण हर दिल अजीज बन गए। उनकी इस भूमिका ने लोगों की आंखों में आंसू ला दिए और वे रातों-रात विलेन से चरित्र अभिनेता बन गए।इसके बाद प्राण `जंजीर' में अमिताभ बच्चन के साथ `शेर खान' और गुलजार की फिल्म `परिचय' में एक अनुशासन प्रिय लेकर नरम दिल वाले दादा की भूमिका में नजर आए।भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि देश ने एक महान कलाकार खो दिया।बॉलीवुड में खलनायक की भूमिका के लिए मशहूर एक अन्य अभिनेता प्रेम चोपड़ा ने प्राण को आने वाली पीढ़ियों के लिए महान प्रेरणास्रोत बताया।निर्माता-निर्देशक करण जौहर ने कहा कि प्राण का निधन एक भव्य और गौरवशाली युग का अंत है।

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