पेंशनर की मृत्यु होने के मामले में, पेंशन के कारण पेंशनर को भुगतान की जाने वाली सभी धनराशिदिवंगत पेंशनर के नामांकन के अनुसार दी जाती है। पेंशनर द्वारा वैध नामांकन न किए जाने की दशा में उसकी पेंशन की बकाया राशिका उसके कानूनी वारिस को भुगतान किया जाता है। तथापि, कुछ पेंशनरों के आश्रितों को कानूनी वारिस का प्रमाण पत्र प्राप्त करने में दिक्कतें आई तथा उन्होंने यह अनुरोध किया किजहां बकाया के भुगतान की कम राशिहै वहां कानूनी वारिस का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता को हटा दिया जाए। बकाये की सकल राशि25 हजार रूपये से अधिक न होने पर दावा करने वाले के संबंधी तथा उसके वारिस के संबंध में किसी दस्तावेजी सबूत के आधार पर पेंशन के 'लाइफटाइम एरियर' के भुगतान के लिए 1985 में ऐसे मामलों के लिए प्रावधान किया गया। सकल राशिके 5 हजार रूपये से अधिक के न होने पर और प्रस्तुत किए गए मामले में कोई विशिष्ट लक्षण न होने पर लेखा अधिकारी को यह अधिकार दिया गया था किवह अपने अधिकार का उपयोग करते हुए इसका भुगतान कर सकता है। सरकार ने इस मामले में फिर ध्यान देकर यह निर्णय लिया है कि5 हजार तथा 25 हजार रूपये की सीमा को बढ़ाकर इसे क्रमश: 50 हजार रूपये तथा 2 लाख 50 हजार रूपये कर दिया जाए। वर्तमान में पारिवारिक पेंशनर की मृत्यु होने की दशा में पारिवारिक पेंशन के बकायों को प्राप्त करने का अधिकार स्वत: परिवार के पात्र सदस्य को जो लाइन में अगला होता है, उसको मिल जाता है। पारिवारिक पेंशनर की मृत्यु होने के पश्चात परिवार में जहां पारिवारिक पेंशन को प्राप्त करने के लिए पात्र सदस्य के न होने पर, पारिवारिक पेंशन के एरियरों का भुगतान उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के आधार पर किया जाता है। अब यह भी निर्णय लिया गया है किजहां पारिवारिक पेंशन को प्राप्त करने के लिए परिवार का कोई पात्र सदस्य नहीं है वहां 2 लाख 50 हजार रूपये की पारिवारिक पेंशन तक पारिवारिक पेंशन के एरियरों का भुगतान कर दिया जाए। इस बारे में विस्तृत अनुदेश पेंशन और पेंशनर कल्याण विभाग की वेबसाइट www.persmin.nic.in पर उपलब्ध है। |
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