केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्रीमती चंद्रेश कुमारी कटोच ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि उत्तराखण्ड में अचानक आई बाढ़ से उत्पन्न प्राकृतिक आपदा से श्री केदारनाथ मंदिर को हुई क्षति के आकलन का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए.एस.आई.) के अपर महानिदेशक डॉ. बी.आर. मणि के नेतृत्व में एक दल अचानक आई बाढ़ और शिलाओं के गिरने से श्री केदारनाथ मंदिर को पहुंची क्षति के आकलन के लिए वहां जाने की संभावना की तलाश में 29 जून 2013 को देहरादून पहुंचा। इस दल में डॉ. बी.आर. मणि के अलावा श्री जान्हविज शर्मा, निदेशक (संरक्षण), श्री ए.के. सिन्हा, निदेशक (स्मारक), श्री अतुल भटनागर, एस.ए. देहरादून सर्किल, श्री ए.के. गुप्ता, वरिठ सी.ए., आगरा सर्किल, श्री ए.जे. परमार, सी.ए. प्रथम श्रेणी, देहरादून सर्किल और सुश्री तेजस्विनी अपहाले, संरक्षण सलाहकार शामिल थे।
इस दल ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री से 29 जून को मुलाकात कर उन्हें श्री केदारनाथ मंदिर को हुई क्षति के आकलन के बारे में अपने दौरे से अवगत कराया। यह सलाह दी गई कि यह दल मंदिर को पहुंची क्षति के बारे में प्रारंभिक आकलन रिपोर्ट तैयार करेगा और संरक्षण तथा आपदा की स्थिति में नुकसान में कमी के उपाय सुझाएगा।
इस दल को भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर से जाना था, ताकि ये सीधे केदारनाथ पहुंच सके। हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी और भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग तथा इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड-ईईपीआईएल के सदस्यों के साथ 30 जून को हेलिकॉप्टर में बैठ गया, लेकिन दुर्भाग्य से केदारनाथ में खराब मौसम की वजह से उड़ान नहीं भरी जा सकी। बाद में उसी दिन एक बैठक में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री ने ए.एस.आई. की टीम से मौसम सामान्य होने पर कुछ दिन बाद स्थल का दौरा करने का अनुरोध किया।
ए.एस.आई. की टीम ने मौसम साफ होने की आशा में एक दिन और इंतजार किया, लेकिन वहां की यात्रा संभव नहीं हो सकी। मौसम इसके बाद लगातार खराब रहा और टीम के पास वहां से लौटने के अलावा कोई चारा नहीं था। एस.ए. देहरादून से अनुरोध किया गया कि वे राज्य सरकार के साथ समन्वय बनाएं और श्री केदारनाथ के दौरे के लिए अगली तिथि निर्धारित करें।
संस्कृति मंत्री ने राजस्थान में पहाड़ों पर बने किलों और और हिमालयी राष्ट्रीय उद्यान को नामांकित किए जाने के बारे में भी सूचना दी।
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