इससे निवेश में तेज़़ी आने, उत्पादन बढ़ने और आयात में कमी आने की उम्मीद |
सरकार ने हाल में गैस कीमतों के बारे में नए नीतिगत दिशानिर्देशों को मंजूरी दी है जिससे विभिन्न हितधारकों में व्यापक रूचि उत्पन्न हुई है। इस विषय को और अधिक स्पष्ट करने और इस निर्णय की तर्कसंगत व्याख्या के लिए निम्नलिखित बिन्दु इस विषय की त्वरित समझ के लिए दिए गए हैं। • मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने हाल ही में (28-06-2013 को) प्रधानमंत्री द्वारा मई, 2012 में गठित डॉ रंगराजन समिति की सिफारिश के आधार पर घरेलु प्राकृतिक गैस की कीमत की नीति की समीक्षा करने का फैसला किया था। • इसी के अनुरूप घरेलु प्राकृतिक गैस मूल्य के नए दिशानिर्देश, 2013 को स्वीकृति दी गई है जो घरेलु स्तर पर उत्पन्न की जाने वाली सभी प्राकृतिक गैसों और सभी उपभोक्ता क्षेत्रों पर अनौपचारिक तौर पर लागू होता है। • ये दिशानिर्देश पहली अप्रैल 2014 से पाँच वर्षों के लिए लागू होंगे जिसके बाद डॉ केलकर समिति द्वारा तैयार किए जा रहे भविष्य के कार्यक्रमों के अनुरूप बाज़ार द्वारा संचालित कीमत अपनाई जाएगी। • रंगराजन फॉर्मूले के अनुसार भारत में आयात की जाने वाली गैस की कुल वापसी कीमत के औसत और अंतर्राष्ट्रीय केन्द्रों पर इसके वज़न की कीमतों के औसत के आधार पर इसके मूल्य तय किए जाएंगे। • इस फॉर्मूले के अनुसार अप्रैल-जून 2013 की तिमाही में भारत में प्राकृतिक गैस की कीमत प्रति एमएमबीटीयू (मिलियन मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट) 6.83 डॉलर रही। • इस बारे में मंत्रिमंडल के नोट के प्रसार के दौरान योजना आयोग ने प्रति एमएमबीटीयू 11.18 डॉलर रखने का सुझाव दिया, जबकि वित्त मंत्रालय ने प्रति एमएमबीटीयू 6.99 से 8.93 डॉलर और उर्वरक विभाग ने प्रति एमएमबीटीयू 6.68 डॉलर रखने का सुझाव दिया। विद्युत मंत्रालय ने कहा कि हमें प्रति एमएमबीटीयू 4.14 डॉलर की मौजूदा लागत और नियत लाभ की पद्धति को ही जारी रखना चाहिए। |
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