देश में अगले सात वर्षों में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाई जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संबद्ध संसदीय समिति को दी गयी सूचना में बताया गया कि राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान में दाखिले के सकल अनुपात में 18 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इस योजना में 99 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है जिसमें इस क्षेत्र की अन्य मौजूदा योजनाएं भी शामिल की जाएंगी। इस योजना का उल्लेखनीय तथ्य यह है कि मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संस्थानों को दी जाने वाली सेन्ट्रल फंडिंग उच्च शैक्षिक संस्थानों को सीधे केन्द्र और यूजीसी से देने की बजाय राज्य उच्च शिक्षा परिषद के माध्यम से दी जाएगी। इसके अलावा केन्द्र द्वारा 90 प्रतिशत तक धन दिया जाएगा और यह निजी संस्थानों के लिए भी कुछ मानको के आधार पर उपलब्ध होगा।
इस योजना में राज्य उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार पर जोर दिया गया है जिसमें एक संस्थागत ढ़ांचा बनाकर राज्य स्तर पर शिक्षा की योजना और निगरानी की व्यवस्था की गयी है। यह राज्य के विश्वविद्यालयों में स्वायत्ता बढ़ाने में मदद करेगी तथा संस्थानों में सुशासन लाएगी। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के लक्ष्यों में उच्चतर शैक्षिक संस्थानों में परीक्षा में सुधार सुनिश्चित करना तथा कुछ विश्वविद्यालयों को शोध विश्वविद्यालयों में बदल कर इसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों के समकक्ष लाना है।
यह परियोजना केन्द्र प्रायोजित योजना के तौर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा लागू की जाएगी जिसमें राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकार का भी बराबर योगदान होगा। इसमें निगरानी और मूल्यांकन के जरिये परियोजना के उच्च और सतत् प्रभाव को हासिल करने के लिए राज्यों के लिए योग्यता मानदंड निर्धारित करने का भी प्रस्ताव रखा गया है। निगरानी का प्राथमिक उत्तरादायित्व संस्थानों पर ही होगा। राज्य और केन्द्र सरकार परियोजना मूल्यांकन बोर्ड के माध्यम से इसकी वार्षिक रूप से समीक्षा करेंगे। इस कार्यक्रम का मुख्य अंश नये विश्वविद्यालय स्थापित करना तथा मौजूदा स्वायत्त कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को प्रौन्नत करना है। अन्य प्रयास कॉलेजों को समूह विश्वविद्यालों में परिवर्तित करना और नये मॉडल कॉलेज खोलना है। इस नीति के अंतर्गत मौजूदा डिग्री कॉलेजों को मॉडल कॉलेजों में परिवर्तित करना भी शामिल है।
मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. एम.एम. पल्लम राजू ने कहा कि उच्च शिक्षा का स्तर बढ़ाने और इसे रोजगार परक बनाने के लिए सम्नवित प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में शोध को अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबंधित विभिन्न अधिनियमों के संसद में लंबित होने के बारे में डॉ राजू ने आशा व्यक्त की कि मॉनसून सत्र में इनमें से कुछ को संसद की मंजूरी मिल जाएगी।
बैठक में चर्चा किये गये अन्य मुद्दों में दाखिले का लक्ष्य पूरा करने के लिए संस्थानों में अतिरिक्त क्षमता बढ़ाकर इसका आधार और व्यापक बनाने और नये संस्थान स्थापित करने, क्षेत्रीय विषमता को दूर करने के लिए शहरी और अर्द्ध शहरी इलाकों में उच्च गुणवत्ता के शिक्षण संस्थान की सुविधा उपलब्ध कराने, ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षण संस्थान मुहैया कराने, तथा अनुसूचित जाति/ जनजाति और सामाजिक तथा शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त अवसर उत्पन्न कर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में समानता को बढ़ाना शामिल है।
बैठक में मौजूद लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों में श्री जगदानन्द सिंह, डॉ निर्मल खत्री , श्री जीआरएनआर दुधगांवकर, डॉ एम.थंबी दुरई, श्रीमती रमा देवी, श्री लालजी टंडन, श्री सुचारू रंजन हलदर, डॉ राम प्रकाश, श्री ईश्वर सिंह, श्री मोहम्मद शफी, डॉ प्रभाकर कोरे, श्री जी.एन रतनपुरी, श्री जावेद अख्तर, श्री रामविलास पासवान और श्री बासवराज पाटिल शामिल थे। इसमें विशेष निमंत्रित सदस्य के तौर पर डॉ तरूण मंडल और श्री अविनाश पांडेय भी मौजूद थे।
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