पूरा
नाम अरविंद
केजरीवाल
जन्म 6 जून,
1968
जन्म
भूमि हरियाणा
के हिसार में
अविभावक पिता-
गोविंदराम केजरीवाल
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि आरटीआई (सूचना का अधिकार)
कार्यकर्ता के रूप
में जाना जाता
है।
पद सामाजिक कार्यकर्ता
विद्यालय आईआईटी
खड़गपुर से
शिक्षा मैकेनिकल (यांत्रिक) इंजीयरिंग में
स्नातक (बीटेक)
पुरस्कार-उपाधि वर्ष 2006 में रेमन
मैग्सेसे पुरस्कार
अरविंद केजरीवाल एक
भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता है।
खड़गपुर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान
से स्नातक केजरीवाल
को आरटीआई (सूचना
का अधिकार) कार्यकर्ता
के रूप में
जाना जाता है।
उन्हें 2006 में 'आकस्मिक
नेतृत्व (इमरजिंग लीडरशिप)' के
लिए रमन मैगसेसे
पुरस्कार से सम्मानित
किया गया।
जन्म
अरविंद
केजरीवाल का जन्म
6 जून, 1968 में हरियाणा
के हिसार में
हुआ और उन्होंने
1989 में आईआईटी खड़गपुर से
मैकेनिकल (यांत्रिक) इंजीयरिंग में
स्नातक (बीटेक) की उपाधि
प्राप्त की। पिता
गोविंदराम केजरीवाल जिंदल स्टील
में इंजीनियर थे।
टाटा स्टील कंपनी
के साथ अपनी
नौकरी छोड़ने के
बाद, वह मिशनरीज
ऑफ चैरिटी और
पूर्वी और पूर्वोत्तर
भारत में रामकृष्ण
मिशन के साथ
काम करते रहें।
बाद में, 1992 में
वे भारतीय राजस्व
सेवा (आईआरएस/सिविल
सर्विसेस, भारतीय सिविल सेवा
का एक हिस्सा)
में आ गए,
और पहली पोस्टिंग
में उन्हें दिल्ली
में आयकर विभाग
में आयकर आयुक्त
(कमिश्नर) नियुक्त किया गया।
उन्होंने कुछ विदेशी
कंपनियों के काले
कारनामे पकड़े कि किस
तरह वे भारतीय
आयकर क़ानून को
तोड़ती हैं। उन्हें
धमकियां मिलीं और फिर
तबादला भी हो
गया, जिसके बाद
उनका सरकारी सेवा
से मोहभंग हो
गया।
भ्रष्टाचार
के ख़िलाफ़ जंग
जनवरी
2000 में, उन्होंने काम से
विश्राम ले लिया
और दिल्ली आधारित
एक नागरिक आन्दोलन
'परिवर्तन' नामक संस्था
की स्थापना की,
जो एक पारदर्शी
और जवाबदेह प्रशासन
को सुनिश्चित करने
के लिए काम
करता है। आजकल
वे भ्रष्टाचार के
ख़िलाफ़ मोर्चे पर डटे
हुए हैं। इसके
बाद, फरवरी 2006 में,
उन्होंने नौकरी से इस्तीफा
दे दिया, और
पूरे समय के
लिए सिर्फ 'परिवर्तन'
में ही काम
करने लगे।
सूचना
अधिकार अधिनियम के लिए
अभियान
राजस्थान
कैडर की आईएएस
अधिकारी अरुणा रॉय और
कई अन्य लोगों
के साथ मिलकर,
उन्होंने सूचना अधिकार अधिनियम
के लिए अभियान
शुरू किया, जो
जल्दी ही एक
मूक सामाजिक आन्दोलन
बन गया। दिल्ली
में सूचना अधिकार
अधिनियम को 2001 में पारित
किया गया और
अंत में राष्ट्रीय
स्तर पर भारतीय
संसदने 2005 में सूचना
अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को
पारित कर दिया।
इसके बाद, जुलाई
2006 में, उन्होंने पूरे भारत
में आरटीआई के
बारे में जागरूकता
फ़ैलाने के लिए
एक अभियान शुरू
किया।
राजनीति
मे पदार्पण
२
अक्टूबर २०१२ को
गांधीजी और शास्त्रीजी
के चित्रों से
सजी पृष्ठभूमि वाले
मंच से अरविंद
केजरीवाल ने अपने
राजनीतिक सफर की
औपचारिक शुरुआत कर दी।
उन्होंने बाकायदा गांधी टोपी,
जो अब "अण्णा
टोपी" भी कहलाने
लगी है, पहनी
थी। वो शायद
वही नारा लिखना
पसंद करते जो
पूरे "अन्ना आंदोलन" के
दौरान टोपियों पर
दिखाई देता रहा,
"मैं अन्ना हजारे हूं।"
लेकिन उन्हें अन्ना
के नाम और
तस्वीर के इस्तेमाल
की इजाज़त नहीं
है। इसलिए उन्होंने
लिखवाया, "मैं आम
आदमी हूं।" उन्होंने
२ अक्टूबर २०१२
को ही अपने
भावी राजनीतिक दल
का दृष्टिकोण पत्र
भी जारी किया।
राजनीतिक
दल बनाने की
विधिवत घोषणा के साथ
उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया
गाँधी जो नेहरू
परिवार की उत्तराधिकारी
और संप्रग की
मुखिया हैं , के दामाद
रॉबर्ट वढेरा और भूमि-भवन विकासकर्ता
कम्पनी डीएलएफ के बीच
हुए भ्रष्टाचार का
खुलासा किया है
और बाद में
केन्द्रीय विधि मंत्री
सलमान खुर्शीद और
उनकी पत्नी लुई
खुर्शीद के ट्रस्ट
में हो रही
धांधलियों के खिलाफ
आन्दोलन छेड़ रखा
है।
आम
आदमी पार्टी का
गठन
आम
आदमी पार्टी के
गठन की आधिकारिक
घोषणा अरविंद केजरीवाल
एवं लोकपाल आंदोलन
के बहुत से
सहयोगियों द्वारा 26 नवम्बर 2012, भारतीय
संविधान अधिनियम की 63 वीं
वर्षगांठ के अवसर
पर दिल्ली स्थित
स्थानीय जंतर मंतर
पर की गई।
2013 के दिल्ली
विधान सभा चुनाव
2013 के दिल्ली
विधान सभा चुनावों
मे अरविंद केजरीवाल
ने नई दिल्ली
सीट से चुनाव
लड़ा जहां उनकी
सीधी टक्कर लगातार
15 साल से दिल्ली
की मुख्यमंत्री रही
श्रीमति शीला दीक्षित
से थी। उन्होंने
नई दिल्ली विधानसभा
सीट से तीन
बार की मुख्यमंत्रीशीला
दीक्षित को 22 हजार मतों
से हराया। अरविंद
केजरीवाल को कुल
44269 मत प्राप्त हुये जबकि
उनके मुक़ाबले शीला
दीक्षित को केवल
18405 मत प्राप्त हुये।
नौकरशाह
से सामाजिक कार्यकर्ता
और सामाजिक कार्यकर्ता
से राजनीतिज्ञ बने
अरविंद केजरीवाल की आम
आदमी पार्टी ने
दिल्ली की राजनीति
में धमाकेदार प्रवेश
किया है। आम
आदमी पार्टी ने
70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव
में 28 सीटें जीतकर प्रदेश
की राजनीति में
खलबली मचा दी।
इस चुनाव में
आम आदमी पार्टी
भारतीय जनता पार्टी
के बाद दूसरी
सबसे बड़ी पार्टी
बनकर उभरी। सत्तारूढ़
काँग्रेस पार्टी तीसरे स्थान
पर खिसक गयी।
सम्मान
और पुरस्कार
2004: अशोक फैलो,
सिविक अंगेजमेंट
2005: 'सत्येन्द्र दुबे मेमोरियल
अवार्ड', आईआईटी कानपुर, सरकार
पारदर्शिता में लाने
के लिए उनके
अभियान हेतु
2006: उत्कृष्ट नेतृत्व के
लिए रेमन मैग्सेसे
पुरस्कार
2006: लोक सेवा
में सीएनएन आईबीएन,
'इन्डियन ऑफ़ द
इयर'
2009: विशिष्ट पूर्व छात्र
पुरस्कार, उत्कृष्ट नेतृत्व के
लिए आईआईटी खड़गपुर।
पुस्तकें
सूचना
का अधिकार: व्यवहारिक
मार्गदर्शिका- सह लेखक
- विष्णु राजगडिया, राजकमल प्रकाशन,
नई दिल्ली द्वारा
वर्ष 2007 में प्रकाशित।
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