29/01/2015
नयी दिल्ली,28 जनवरी ( शोभना जैन वीएनआई) तेजी से घटे घटनाक्रम मे श्रीमति सुजाता सिंह की जगह अमरीका मे भारत के राजदूत डॉ. सुब्रहमणयम जयशंकर ने आज भारत के नये विदेश सचिव का कार्य भार संभाल लिया.मंत्रिमंडल की नियुक्ति कमेटी ने कल देर शाम "तत्काल प्रभाव" से श्रीमति सुजाता सिंह का कार्यकाल छोटा करते हुए श्री जयशंकर की नियुक्ति का फैसला किया था।
नियुक्ति कमेटी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं। कमेटी ने कहा कि जयशंकर को दो साल के लिए यह जिम्मेदारी दी गई है। इस के बाद श्रीम ति सिंह की जगह डॉ. जयशंकर को नया विदेश सचिव बनाने की घोषणा कर दी गयी थी श्रीमति सिंह के कार्यकाल का आठ माह बाकी था. गौरतलब है कि गत एक अगस्त को कार्यकाल पूरा होने पर उन्हे एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया गया था.
डॉ. जयशंकर ने आज अपना कार्यभार ग्रहण करने पर् संवाददातआओ के सवाल पर ज्यादा कुछ नही कहते हुए इतना ही कहा कि वह इस जिम्मेवारी पर सम्मानित मसूस कर रहे है. अपने प्राथमिकताओ के बारे मे पूछे गये सवाल के जबाव मे भी उन्होने मात्र इतना ही कहा' प्राथमिकताये वही है जो सरकार की है" ज्यादा बातचीत नही करते हुए उन्होने उन्होने कहा कि मीडिया का विदेषं नीति को दर्शाने मे अहम अंग है . डॉ जयशंकर की नियुक्त की घोष्णा के बाद श्रीमति सिंह ने स्वैछिक सेवा निवृति ले ली है.वे आज डॉ जयशंकर के कार्यभार संभालने के वक्त भी मौजूद नही थी. बाद मे श्री जयशंकर ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की.
श्री जयशंकर भी ३१ जनवरी को सेवा निवृत हो रहे थे. सूत्रो के अनुसार डॉ जयशंकर को भारत अमरीकी संबंधो को नये आयाम तक पहुंचाने मे सक्रिय भूमिका रही है, तथा प्रधान मंत्री उनके कार्य से प्रभावित रहे है तथा अपनी टीम मे काम करने के लिये वे उन्हे ज्यादा सहज सदस्य मानते थे है. विदेश मंत्रालय में 2004-07 के बीच संयुक्त सचिव रहते हुए वह परमाणु संधि पर बातचीत करने वाले अधिकारियों में शामिल थे। डॉ जयशंकर अमरीका के अलावा चीनमे भी भारत के राजदूत रहे है तथा राजनयिक सूत्रो के अनुसार विदेश नीति के लिये खासे अहम इन दोनो देशो मेउनके अनुभव को खासा अहम माना जारहा है.. सूत्रो के अनुसार इस फेरबदल के बाद विदेश मंत्रालय मे और भी कई बड़े फेरबदल हो सकते है. सबसे पहले सरकार को अमरीका मे नये राजद्दोत की नियुक्त करने का काम है.
डॉ जयशंकर 1977 बेच के आई एफ एस अधिकारी है तथा श्री मति सिंह से एक वर्ष ्जुनियर है. वार्ष 2013 मे श्रीमति सिंह के विदेश सचिव बनाये जाने से पूर्व भी वे विदेश सचिव की रेस मे थे, सूत्रो के अनुसार ततकालीन प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सि उन्हे ही विदेश सचिव बनाना चाहते थे लेकिन'वरिषठता" के चलते श्रीमति सिंह को ही विदेश सचिव बनाया गया.सूत्रो के अनुसार 31जनवरी को डॉ जयशंकर के कार्यकाल पूरा होने से पहले उनकी इस पद् पर नयी नियुक् करना जरूरी था इसलिये श्रीमति सिंह के कार्यकाल को छोटा करने का रास्ता चुना गया. डो जयशंकर का कार्यकाल दो वर्ष का होगा. इससे पूर्व ततकालीन प्रधान मंत्रीराजीव गांधी ने ततकालीन विदेश सचिव ए.पी वेकटेश्वरन को 1987 मे अचानक पद मुक्त कर दिया था. वी एन आई
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