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अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच ने बसंत पंचमी महोत्सव पर्व धूमधाम से मनाया

ABSLM 24/01/2015

मुखजी नगर, दित्ली में अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच ने विगत वर्षों की तरह इस साल भी ज्ञान और विद्या की अराध्य देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के साथ बसंत पंचमी का वार्षिक महोत्सव पर्व धूमधाम से मनाया । बसंत पंचमी को पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत बसंत पंचमी महोत्सव शुभारंभ हुआ। अखिल भारतीय स्वतन्त्र लेखक मंच के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र सहित वरिष्ठ समाज सेवी रामकुमार सिसोदिया ने कार्यक्रम का उद्घाटन एंव सरस्वती चित्र पर दीप प्रज्व्वालित कर किया I बसंत पंचमी पर देवी मां सरस्वती की  पूजा में मां शारदे के श्रद्धालु उत्साह के साथ जुटे ।

मंडप परिसर विशेष पुष्प एवं विद्युत सज्जा कि गई है सजावट के साथ ही रंगबिरंगी कलात्मक मूर्तियां स्थापित की । सरस्वती पूजा को लेकर विद्यार्थियों में खास उत्साह है। इस मौके पर नन्हें-मुन्ने बच्चों ने मां सरस्वती की पूजा की। विशेष पूजा में शामिल होने के लिए बच्चे पीले कलर की ड्रेस पहनकर पहुंचे। मां सरस्वती की पूजा के बाद बच्चों ने एक-दूसरे को बसंत पंचमी की बधाई दी।

समारोह का शुभारम्भ विद्या और कला की देवी मां सरस्वती की वंदना से साथ किया गया बच्चों ने गरिमामय रूम मे सरस्वती वंदना करी I बसंत पंचमी महोत्सव समारोह मे बच्चों ने समूह मे कलात्मक औेर सांस्कृतिक विरासत पर मंथन करते हुए  गीत नृत्यों के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए ।

मंच के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र ने कहा बसंत का मौसम जहां ऋतु परिवर्तन का सूचक है वहीं दूसरी ओर संगीत और सुर-ताल की देवी सरस्वती के उद्भव का पौराणिक महत्व भी प्रतिपादित करता है। सर्द मौसम से मुक्त समशीतोष्ण वातावरण में मां के आराधक अपनी आराध्य देवी की अर्चना में मस्त हो जाते है। सृष्टि रचयिता ब्रम्हा पुत्री वाग्देवी की पूजा अर्चना भी मौसम के अनुकुल पीले वस्त्र धारण कर पीले फूलों और पीले चावलों से की जाती है। पीले-पीले बेर फल, आम की बौर और सुंदर पीले कदली फल मां के श्री चरणों में अर्पित कर आराधक मनचाही विद्या के लिये प्रार्थना करते है। बसंतोत्सव का यह पर्व विरह गीत की याद दिलाने वाला भी है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि माहेशवरी एकता संपादक राजेश गिलडा ने कहा ज्ञान की अधिष्ठात्री, अविद्या एवं अज्ञानांधकार हारिणी, वाणी पुस्तक धारिणी, विद्या बुद्धि प्रदायिनी सरस्वती हमारे जीवन में सुमति की जननी है। सद विचारों की पोषक है, सदप्रेरणा की निर्मात्री है। विद्या-बुद्धि-विवेक तथा सुसंस्कारों की धात्री है। तो हमारे जीवन में सन्मार्ग का पथ निरंतर प्रशस्त करने वाली है। वो ज्ञान स्वरूपा परम आद्यशक्ति चेतना स्वरूप में सर्वत्र व्याप्त है।

महंत श्री वरुण जी महाराज ने कहा भारतवर्ष की छह ऋतुओं में सबसे खुशगवार मिजाज रखने वाले बसंतोत्सव का आगमन हर प्राणी के जीवन में राग, रंग और उल्लास का संचार करने वाला माना जाता है। यूं तो प्रत्येक ऋतु अपनी एक पहचान रखती है, किंतु बसंत की महीना जहां एक ओर ठंड से कड़कड़ाती काया को गर्म कपड़ों से छुटकारा दिलाता है, तो दूसरी ओर युवाओं और युवतियों के ह्दय में प्रेम की पींगें बढ़ाना वाला भी होता है।

रामानुज सिंह सुन्दरम ने कहा सरस्वती को साहित्य, संगीत, कला की देवी का स्थान प्राप्त है इनकी उपासना से सभी को बुद्धि एवं ज्ञान की प्रप्ति होती है, देवी सरस्वती जीवन की जड़ता एवं अज्ञानता को दूर करके उसमें प्रकाश का संचार करती हैं तथा व्यक्ति को योग्य होने का आशिर्वाद प्रदान करती हैं वेद पुराणों में देवी सरस्वती के महत्व का विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है.ऋग्वेद में देवी सरस्वती नदी की देवी कही गई हैं. सरस्वती जी का जन्म ब्रह्मा के मुख से हुआ था यह वाणी एवं विद्या की अधिष्ठात्री देवी है वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती के पूजन का विधान है.सरस्वती को साहित्य, संगीत, कला की देवी माना जाता है

इस दौरान  बसंत पंचमी महोत्सव पर संगीत सम्मेलन व भजना संध्या आदि कार्यक्रम को आयोजन किया अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच ने इस मौके पर में मीठे पीले चावल और पीली सब्जी का लंगर भी आयोजित किया गया।

बसंत पंचमी महोत्सव में अनेक साहित्कार, बुद्धिजीवी और पत्रकारो ने हिस्सा ले अपनी भागीदारी दिखाते महोत्सव सफल बनाया । इस साहित्य उत्सव  कार्यक्रम में दिल्ली के आलावा अन्य स्थानों से आयीं अनेक हस्तियाँ मौजूद थीं ।

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