May 30, 2016
चंडीगढ़। हरियाणा में सबसे चर्चित मुद्दे पर अब बड़ा सवाल खड़ा हो गया है इससे प्रति माह करीब 60 हजार लेने वाले अध्यापको को क्या अब घर बैठना होगा ? पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के कार्यकाल के दौरान चयनित जेबीटी शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द कर दिए जाने के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की डबल बेंच में अगली सुनवाई 2 जून को होगी, जो सिंगल बेंच के फैसले को चैलेंज करने के बाद विचाराधीन है। पहले सिंगल बेंच ने दिया था नियुक्ति रद्द करने का फैसला…
– वर्ष 2000 में हुई जेबीटी टीचर भर्ती मामला हरियाणा का सबसे चर्चित मामला है। जब इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ उस समय इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता ओम प्रकाश चौटाला सीएम थे।
– शिकायत के बाद उनके सीएम रहते ही सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू कर दी थी।
– मामला कोर्ट पहुंचा तो एकल बैंच ने 3206 जेबीटी टीचर की नियुक्ति रद्द करने का फैसला सुनाते हुए नई मैरिट लिस्ट बनाने का सरकार को आदेश दिया था।
– इन आदेशों को चुनौती देते हुए नौकरी कर रहे टीचर्स ने जहां एकल बैंच के फैसले को खारिज करने की मांग की।
– वहीं रिजेक्ट हुए उम्मीदवारों ने नौकरी कर रहे शिक्षकों को नौकरी से निकाले जाने की मांग की, रिजेक्ट हुए उम्मीदवारों की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि इस भर्ती में धांधली हुई है।
– एकल बैंच के आदेशों के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान हाल ही में 10 मई को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भर्ती से जुड़ा सारा रिकार्ड तलब किया था।
– इसके बाद 11, 12, 13,16, 17,18 और 25 को हाईकोर्ट की डबल बेंच में सुनवाई हो चुकी है और अब अगली सुनवाई 2 जून को होनी है।
ये था जेबीटी भर्ती घोटाले का प्रकरण
– नवंबर 1999 में 3206 शिक्षक पदों का विज्ञापन जारी हुआ।
– अप्रैल 2000 में रजनी शेखर सिब्बल को प्राथमिक शिक्षा निदेशक नियुक्त किया गया।
– जुलाई 2000 में रजनी शेखर को पद से हटाकर संजीव कुमार को निदेशक बनाया गया।
– दिसंबर 2000 में भर्ती प्रक्रिया पूरी हुई और 18 जिलों में जेबीटी शिक्षक नियुक्त हुए।
– जून 2003 में संजीव कुमार इस मामले में धांधली होने का हवाला देकर मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए।
– नवंबर 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच करने के आदेश दिए।
– मई 2004 में सीबीआई ने जांच शुरू की।
– फरवरी 2005 में संजीव कुमार से पूछताछ. हुई।
– जून 2008 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल।
– जुलाई 2011 में सभी आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम कर दिए गए।
– दिसंबर 2012 में केस की सुनवाई पूरी हुई।
– 16 जनवरी 2013 को ओमप्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला समेत 55 दोषी करार दिए गए।
– 22 जनवरी को 10-10 साल की सजा सुनाई गई।
– इसके बाद चौटाला पिता-पुत्र दोनों तिहाड़ जेल में 10-10 साल की सजा काट रहे हैं। पूर्व सीएम ओपी चौटाला को मेडिकल ग्राउंड पर पैरोल मिली थी, जबकि उनके बेटे अजय चौटाला की पैरोल याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। साभार -दै भा
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