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शबे बारात पर हुड़दंग नहीं इबादत करें- साबिर हुसैन

ABSLM-, 20 मई 2016 

नई दिल्ली। नई पीढ़ी-नई सोच संस्था के संस्थापक व अध्यक्ष साबिर हुसैन ने बताया कि शबे बारात के मौके पर पिछले 2 वर्षों से चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को इस बार भी चलाया जाएगा। इस अभियान की शुरुआत संस्था के कार्यालय से होगी व संस्था के युवाओं की ओर से आयोजित प्रोग्राम में भी इस अभियान को चलाया जाएगा। इसके लिए संस्था की ओर से पोस्टर, पम्पफ्लैट आदि को छपाया गया है ताकि इस अभियान से उन नौजवान को जोड़ा जा सके तो इन बातों को भूलकर अपनी ही दुनिया में मस्त हो जाते हैं और बाइक आदि से हुड़दंग मचाते हैं और यह समझते हैं कि आज पुलिस भी कुछ नहीं कहेगी जो कि गलत है। पुलिस धार्मिक भावनाओं के कारण उन्हें कुछ नहीं कहती।

साबिर हुसैन न कहा कि सभी अभिभावकों को यह ध्यान रखना होगा कि आपका बच्चा आपकी गाड़ी तो नहीं ले जा रहा है। उन्हें गाड़ी न दें बल्कि इस रात की फजीलत के बारे में जानकारी दें जिससे सभी को फायदा होगा क्योंकि हर साल शबे बारात की रात में कई लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। इसमें कई बार गलती खुद की होती है तो कई बार दूसरे की गलती का खामियाजा भुगतना पड़ता है। दिल्ली पुलिस की लाख कोशिशों के बाद भी हर साल बाइक सवार हुड़दंग करने से बाज नहीं आते हैं और अपनी व दूसरों की जान को नुकसान पहुंचाते हैं। शबे बारात की रात इबादत की रात है। बाइक आदि से हुड़दंग मचाने की नहीं।

उन्होंने बताया कि शबे बारात के मौके पर लोगों का हुड़दांग मचाना कम नहीं हो रहा है। इसे रोकने के लिए जैसे हमने पिछले 2 साल जागरूकता अभियान चलाया था वैसे ही इस बार भी जागरूकता अभियान चलाएंगे ताकि शबे बारात का त्योहार शांति के साथ मनाया जा सके क्योंकि यह त्योहार इबादत का है न कि हुड़दंग मचाने का। शबे बरात में हर साल सड़कों पर होने वाले हुड़दंग और मोटरसाइिकल पर स्टंटबाजी से मुसलमानों की खराब हो रही है। हम सभी अपने बच्चों पर नजर रखें और उन्हें इन सबसे दूर रहने की हिदायत दें।

उन्होंने आगे बताया कि शबे बरात की रात को मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखने वाले लोग रात भर जाग कर अपने गुनाहों की तौबा करते हैं और अल्लाह से दुआएं मांगते हैं, लेकिन समुदाय के ही कुछ नौजवान इबादत करने की जगह सड़कों पर निकल कर हुड़दंग मचाते हैं और मोटरसाइकिलों पर स्टंटबाजी करते हैं। इससे अन्य लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्टंटबाजी के दौरान हुए हादसों में कई नौजवान अपनी जान भी गवां देते हैं। बीते कुछ सालों में सड़कों पर हुड़दंग जरूर कम हुआ है लेकिन अब भी कई युवा ऐसे हैं जो ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हैं। इस बार रविवार 22 मई को शबे बारात है।

उन्होंने आगे बताया कि हम शबे बारात की रात को भी सभी पदाधिकारी व सदस्य रोड पर निकलकर लोगों को इस रात की फजीलत बताएंगे व जहां भी शबे बारात से संबंधित प्रोग्राम हो रहा होगा वहां भी इस जागरूकता अभियान से लोगों को जोड़ेंगे ताकि लोग अपनी सुरक्षा के साथ दूसरों को भी इस रात को सैर सपाटे में तब्दील करने से रोकें और इस रात की फजीलत के बारे में जानकारी दें कि यह रात इबादत की रात कहलाती है। कहा जाता है कि इस रात में जितनी इबादत की जाए वह कम है क्योंकि यह रात साल में एक बार आती है जिसे शबे कदर की रात भी कहते हैं। यह रात ऐसी रात है जिसमें जितनी इबादत की जाए उतनी कम है।

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