सिरसा, 30 मई2016
मानवाधिकार का अर्थ है कि मनुष्य को स्वतंत्र, पारदर्शी व गारिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार हो।
उक्त विचार हरियाणा मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस श्री विजेन्द्र जैन ने आज स्थानीय चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में हरियाणा मानव अधिकार आयोग द्वारा नशा, कन्या भ्रुण हत्या, बंधुआ मजदूरी और महिला तस्करी पर आयोजित सेमीनार में बतौर मुख्य अतिथि बोलते व्यक्त किए। उन्होंने दीप प्रज्जवलित कर सैमिनार का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मानव अधिकार का अर्थ है कि हर मनुष्य को स्वतंत्र, पारदर्शी व गरिमापूर्ण जीने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा में सितम्बर 2012 में मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया। इसका उद्देश्य आमजन की भावनाओं के हनन बारे उनकी समस्याएं सुनना है। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार प्रत्येक मानव को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान करते है ये अधिकार अनके रूपों में विभिन्न स्तर पर व्यक्ति विशेष एवं समाज को प्रभावित करते है। समाज में फैली कुरीतियां जैसे कन्या भ्रुण हत्या,बाल श्रम, बच्चों का अवैध व्यापार, बच्चों की गुमशुदगी की बढ़ती घटनाएं, बच्चों का शारीरिक शौषण व उनके प्रति यौन हिंसा, बाल विवाह, महिलाओं के प्रति घरेलु हिंसाआदि अनेक समस्याएं है जो मानवाधिकारों का हनन करती है। इन समस्याओं को हमें मिलकर खत्म करना है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में कन्या भ्रूण हत्या, नशाखोरी, बंधुआ मजदूरी जैसी बुराईयां फैली हैं इनको खत्म करने के लिए आयोग द्वारा प्रदेश के हर जिले में एक सेमीनार का आयोजन किया जा रहा है जिसमें आशा वर्कर, पंच-सरपंच, आंगनवाड़ी वर्कर तथा प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों को इन बुराईयों को खत्म करने के लिए जागरुक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार, प्रशासन, द्वारा गठित की गई कमेटियां सिर्फ लोगों को जागरुक कर सकती हैं, बुराई तो हम अपनी मानसिकता को बदल कर ही मिटा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिला में जनवरी 2016 से मई 2016 तक आयोग मेें मानव अधिकार से सम्बंधित 332 शिकायतें आई हैं, जिसमें से 269 शिकायतों का संज्ञान लिया गया है तथा 63 शिकायतें लंबित है।
उन्होंने कहा कि भारत देश में धन प्राप्ति के लिए लक्ष्मी, शिक्षा के लिए मां सरस्वती तथा शक्ति के लिए मां दुर्गा का नाम लिया जाता है, एक तरफ तो हम देवियों की पूजा करते है और दूसरी तरफ उन पर अत्याचार करते है। उन्होंने कहा कि आज के युवक नशीले पदार्थो के सेवन करके अपने तथा अपने समाज व परिवार को तबाह कर रहे है। समाज मे उक्त बुराईयों को दूर करने के लिए हम सबको जागरूक होकर दूसरों को इससे होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि आज बेरोजगारी के कारण युवा नशा तस्करी या अन्य गलत कार्य करते है। नशा करना समाज के प्रति कुरीति है लेकिन स्वच्छ जीवन के प्रति मानवधिकार का हनन है। उन्होंने कहा कि हम मानवाधिकारों के सरंक्षण के बारे में कार्य नहीं करेंगे तो देश व प्रदेश में अराजकता फैलेगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश में राज्य निगरानी कमेटी व जिला स्तर पर जिला निगरानी कमेटी गठित की गई है। उन्होंने मीडिया के लोगों से आह्वान किया की वे जहां मानवाधिकार का हनन हो रहा हो उस बारे समाचार पत्रों के माध्यम से शिकायतें आयोग तक पहुंचाए। उन्होंने कहा कि अवैध भवन निर्माण या अतिक्रमण हो रहा है तो प्रशासन को उस पर तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए। श्री जैन ने अधिकारियों से कहा कि लोगों की समस्याओं का हल ढुढंने का प्रयत्न करना चाहिए। न कि उनकी समस्याओं को उलझाने का, जहां पर समस्याएं पैदा की जाती है वहां मानव अधिकारों का हनन माना जाता है। जस्टिस श्री जैन ने स्कूली बच्चों द्वारा बनाई गई चित्रकारी का अवलोकन भी किया।
इस अवसर पर हरियाणा मानवाधिकार आयोग के सदस्य श्री जे.एस. अहलावत ने स्वागत करते हुए कहा कि हरियाणा मानव अधिकार आयोग द्वारा आयोजित सैमिनारो में नशा खोरी, भ्रुण हत्या, बंधुआ मजदूरी रोकने आदि पर विचार विमर्श किया जाता है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की बात करें तो मानव होने के नाते उसे जीवन जीने की आजादी अनुशासनात्मक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में मानवाधिकार बहुत प्राचीन समय से ही है। मेगनाकार्टा से मानवाधिकारों की उत्पति मानी जाती है। उन्होंने कहा कि युरोप में औद्योगिक क्रांति हुई तथा पहले विश्व युद्ध के पश्चात देशों के लोगों ने सॉनफ्रांसिसकों में इक_े होकर मानव अधिकारों के लिए आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि 10 दिसम्बर 1948 को यूएनओ के घोषणा पत्र में मानव अधिकारों को शामिल किया गया, मानव अधिकार मान लेने के बाद मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 2012 में मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया। मानव अधिकार आयोग के सौजन्य से रेवाड़ी, फरीदाबाद, रोहतक, भिवानी, अम्बाला और करनाल में सेमीनार आयोजित कर अधिकारियों व कर्मचारियों को दुरुस्त बनाया गया।
चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री राधेश्याम शर्मा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि मानव अधिकार आयोग का तात्पर्य उन बुनियादी अधिकारों से है जो प्रत्येक मनुष्य मानव अधिकार के तहत अपना जीवन यापन कर सके और स्वतंत्र रुप से जीवन जी सके। उन्होंने मानव अधिकार आयोग को बधाई देते हुए कहा कि आयोग ने जागृति व जागरुकता पैदा करने की मुहिम चलाई है यह बहुत ही अनुकरणीय कार्य है। धर्म, जाति, सम्प्रदाय से उपर उठ कर जो व्यक्ति इस प्रकार के कार्य करता है वह समाज को बुनियादी चीजों से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि अधिकारों के साथ हमारे कुछ कर्तव्य भी है उनका पालन भी हमें करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नशा समाज का नाश करता है, युवाओं में ऊर्जा शक्ति की कोई कमी नहीं है, यदि कमी है तो सिर्फ वातावरण व दिशा की। उन्होंने कहा कि बच्चों में नैतिक मूल्य जागरुक कर अच्छे संस्कार देने चाहिए। ईंट-भ पर जहां बंधुआ मजदूरी करवाई जा रही हो उनकी रोकथाम के लिए सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।
अतिरिक्त उपायुक्त श्री अजय सिंह तोमर ने कहा कि मुख्यअतिथि व अन्य लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि हरियाणा मानव अधिकार आयोग द्वारा आयोजित किये गए इस सेमीनार से आम लोगों में जागरुकता पैदा होगी। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि वे भी अपने अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरुक हो तथा समाज व राष्ट्र के निर्माण में अपना पूरा योगदान दें।
पुलिस अधीक्षक श्री सतेन्द्र गुप्ता ने कहा कि नशा व्यक्ति को खोखला कर देता है, नशे से व्यक्ति को ही नहीं बल्कि पूरे परिवार व समाज को नुकसान होता है। प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि समाज में फैल रही कुरीतियों को समाप्त करने में सहयोग दें। उन्होंने कहा कि जिला में नशा की प्रवृति में कुछ कमी आई है। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग द्वारा गठित की गई टीमें गांवों में जाकर सीडी के माध्यम से लोगों को नशे से दूर रहने के बारे में प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि हम सभी ये संकल्प लें कि समाज में बुराईयों को नही फैलने देंगे तभी समाज में इन बुराईयों से छुटकारा मिल सकता है।
इस अवसर पर चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. एस.के. गहलावत ने नशाखोरी के बारे में विस्तार से जानकारी दी और युवाओं से आह्वान किया कि वे नशे जैसी बुराईयों से दूर रहें और समाज के नव निर्माण में अपना विशेष योगदान दें।
हरियाणा वैलफेयर सोसायटी की अध्यक्षया डा. अनिता शर्मा ने प्रदेश में घटते लिंगानुपात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रत्येक महिलाओं को मातृत्व का सुख प्राप्त करना चाहिए क्योंकि मातृत्व का सुख ही सबसे बड़ा है, देवियों व महान व्यक्तियों की जननी भी मां है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत ही हरियाणा से हुई। उन्होंने कहा कि इस प्रकार का मिशन लेकर सभी आगे बढ़े तो लिंगानुपात में वृद्धि हो सकती है।
पुलिस महानिदेशक एच.एच.आर.सी. श्री ए.के.ढूल ने सभी का धन्यवाद करते हुए आयोग द्वारा किये गए कार्यों की विस्तार से जानकारी दी।
सेमीनार में चित्रकारी, पोस्टर मेकिंग, निबंध लेखन प्रतियोगिता में विवेकानंद व न्यू सतलुज हाई स्कूल के बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया तथा मुख्य अतिथि व अन्य अतिथियों को समृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के यूवा सांस्कृतिक कार्य विभाग के बच्चों ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ व नशाखोरी पर एक स्कीट व ऐसिड अटैक पर एक कोरियोग्राफी प्रस्तुत की।
इस अवसर पर एसडीएम श्री परमजीत सिंह चहल, नगराधीश श्री बिजेन्द्र सिंह, सीडीएलयू के रजिस्ट्रार डा. आसीम मिगलानी, डीडीपीओ श्री प्रीतपाल सिंह, सिविल सर्जन डा. सूरजभान कम्बोज तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी, सरपंच, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम सहित स्कूली बच्चे उपस्थित थे।
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