21 नवम्बर 2016 ( अनिल रुद्रा)
नई दिल्ली। स्वराज इंडिया ने आम लोगों के बीच जा जाकर
"नोटबंदी पर नुक्कड़ जनसुनवाई का आयोजन रविवार को भी जारी रखा। इस कार्यकम के
तहत पार्टी ने खुले मन से आम लोगों के राय, विचार, परेशानी और सुझाव
जानने का प्रयत्न किया। जनसुनवाई का आयोजन दिल्ली के लगभग 100 नुक्कड़ों पर किया गया, जहां निम्नलिखित तीन बिंदुओं पर जनता से संवाद किया गया।
नोटबंदी पर नुक्कड़ जनसुनवाई के दौरान हर तरह के विचार सामने आये। इन बिंदुओं पर
खुल कर लोगों ने अपनी बात रखी। जिससे स्पष्ट हुआ कि जनता इस निर्णय का समर्थन करे
या विरोध लेकिन परेशानी तो हुई है।
स्वराज इंडिया ने हमेशा से किसी भी निर्णय का अंध-समर्थन या
अंध-विरोध करने की बजाए देश हित की बात सबसे आगे रखी है। नोटबंदी के मसले पर भी
स्वराज इंडिया ने सरकार की घोषणा का समर्थन किया, लेकिन ख़राब तैयारी और ढुल मुल कारण देश भर में हो रही
परेशानी को भी सबके सामने रखा। स्वराज इंडिया ने पिछले दिनों के अनुभव को देखते
हुए देश के सामने एक सकारात्मक सुझाव रखा है। ऐसे समय में जब किसी सार्थक समाधान
की बजाये स़िर्प आरोप प्रत्यारोप की राजनीति हो रही है, स्वराज इंडिया का प्रस्ताव देश की जनता की परेशानी और पीड़ा
को हल करने में मददगार होगा। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने सरकार
से मांग करते हुए कहा, "नोटबंदी की योजना
को 31 दिसंबर से लागू किया जाए
और तब तक सभी लोगों को पुराने नोट इस्तेमाल करने की छूट दे दी जाए। यानि जो छूट
अभी रेल, पेट्रोल पम्प, सरकारी हस्पताल आदि को है, वो सभी को दे दिया जाए। सरकार चाहे तो इसकी कोई
लिमिट बाँध दे ताकि कालेधन के बड़े खेल खेलने वाले फ़ायदा ना उठा सकें। लेकिन
मेहनत की कमाई खाने वाले बिना परेशानी के अपने पुराने नोट बदल लें। कोई कहेगा इससे
काला धन पूरी तरह तो नहीं रुकेगा। इतने दिनों में कई काला धन वाले उसे स़फेद करने
की तरकीब बना लेंगे। ये हो सकता है। लेकिन सरकार की वर्तमान नोटबंदी से भी तो िफलहाल
यही हो रहा है।
जाली नोट जरूर रुक रहे हैं, लेकिन जो काला धन कैश में लेकर बैठा है वो अपने नोटों को
कहीं न कहीं से 'ऐडजस्ट' तो कर ही रहा है। असली परेशानी तो सिर्प आम
जनता को हो रही है। कितना अच्छा हो अगर सरकार इस सच को मान ले। उधर विपक्ष वाले भी
नोटबंदी को वापिस लेने जैसी बातें बंद कर दें और इस घोषणा से जो फायदे सचमुच हो
सकते हैं वो होने दें।स्वराज इंडिया ने साथ ही मांग किया कि अब सरकार काला धन
रोकने के लिए जल्द से जल्द ब़ाकी बड़े कदम उठाये - जैसे मॉरीशस की खिड़की को बंद
करे, विदेशों में जमा काला धन
वापिस लाये, पी-नोट पर
पाबन्दी लगाए, भ्रष्टाचार
विरोधी कानून को कमजोर न करे, पार्टियों की
विदेशी फंडिंग पर रोक लगाए, पूंजीपतियों का
क़र्ज़ म़ाफी ना हो, लोकपाल की
नियुक्ति करे।
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