AABSLM

हमारी साइट में अपने समाचार सबमिट के लिए संपर्क करें

काली सूची में डाली गईं कंपनियों की होगी समीक्षाः पर्रिकर


23 नवम्बर 2016
नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय काली सूची में डाली गयी सभी कंपनियों के मामलों की समीक्षा करेगा क्योंकि वह नई रक्षा नीति के बाद इस तरह की संस्थाओं की नई सूची तैयार कर रहा है। नई नीति में भारी दंड और श्रेणीबद्ध प्रतिबंध का प्रावधान है।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि महानिदेशक अधिग्रहणः नई नीति की आवश्यकता के मुताबिक एक सूची तैयार करेंगे और इस प्रकार पुराने मामलों को भी देखा जायेगा। एक सेमिनार से इतर पर्रिकर ने बताया, ``इसका मतलब यह नहीं है कि उनको बाहर कर दिया जायेगा। इसका ये मतलब मत लगाइये ... उनकी जांच की जायेगी। क्या स्थिति है, वे कितने साल से काली सूची में हैं और उनको क्यों काली सूची में डाला गया था।''  उन्होंने कहा कि नई नीति के अनुसार नई सूची बनायी जानी है। मंत्री ने कहा, ``इसलिए सूची की समीक्षा की जायेगी।''   इस दौरान उन करीब दर्जन भर कंपनियों की भी समीक्षा की जायेगी, जिनको पिछली सरकार के दौरान पूरी तरह काली सूची में डाल दिया गया था। सिंगापुर टेक्नोलॉजीज जैसी कुछ कंपनियों ने काली सूची से हटाये जाने की मांग को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था।  सिंगापुर टेक्नोलॉजीज का तर्क है कि उसे गलत तरीके से काली सूची में डाला गया है क्योंकि उसे कोई भी "sका नहीं मिला था और ना ही तत्कालीन आयुध कारखाना बोर्ड प्रमुख से जुड़े रिश्वत मामले में सीबीआई द्वारा दायर आरोप पत्र में उसका कोई जिक्र था।
 भारत को अपने पनडुब्बी निर्माण योजना पर फिर से विचार करना चाहिएः भारत के पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम पर फिर से विचार किये जाने की जरूरत का आह्वान करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि देश को 24 पनडुब्बी निर्माण की मौजूदा योजना की बजाय बड़ी संख्या पर विचार करना चाहिए।पनडुब्बी निर्माण की 30 वर्षीय मौजूदा योजना का हवाला देते हुए पर्रिकर ने कहा कि भारत को 2050 के दीर्घकालिक योजना की जरूरत है। इस योजना के तहत परमाणु और परंपरागत दोनों तरह की 24 पनडुब्बियों के निर्माण की योजना है। मौजूदा योजना वर्ष 2030 में समाप्त हो जाएगी।उन्होंने कहा कि रणनीतिक साझेदारी मॉडल अपने अंतिम चरण में है और एक बार इसके अमल में आने के साथ ही मंत्रालय पी75 इंडिया परियोजना की गति में इजाफा करेगा, जिसके तहत छह और परंपरागत पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है। पर्रिकर ने कहा कि मौजूदा परमाणु पनडुब्बी परियोजना के विपरीत स्कॉर्पियन परियोजनाओं में स्वदेशीकरण बहुत कम है।
महज 30 से 40 प्रतिशत तक।''उन्होंने पनडुब्बी निर्माण में लगे कुशल लोगों को बनाये रखने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि मरम्मत पर भी ध्यान दिये जाने की जरूरत है। पर्रिकर ने कहा, ``हमारे आकलन के हिसाब से हमें वास्तविक जरूरत के बारे में फिर से सोचने की जरूरत है...हमें यह सुनिश्चित करने की भी जरूरत है कि कुशल लोग और बेहतर कौशल को बनाये रखा जाए।''

उन्होंने कहा कि रूस ने अब तक 595 जबकि अमेरिका ने 285 पनडुब्बियों का निर्माण किया है। पर्रिकर ने पनडुब्बी निर्माण के अधिक स्वदेशीकरण का भी आह्वान किया।

निवेदन :- अगर आपको लगता है की ये लेख किसी के लिए उपयोगी हो सकता है तो आप निसंकोच इसे अपने मित्रो को प्रेषित कर सकते है