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उमा भारती ने भू-जल के गिरते हुए स्‍तर पर जताई चिंता

 ABSLM 29/11/2016

                   भू-जल मंथन-2 जलभृत मानचित्रण एवं भू-जल प्रबंधन पर राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी 
केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती ने देश में भू-जल के गिरते हुए स्‍तर पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए बेहतर जल प्रबंधन का आह्वान किया है। आज नई दिल्‍ली में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के केंद्रीय जल भूमि बोर्ड द्वारा जलवृत मानचित्र एवं भू-जल प्रबंधन पर आयोजित दूसरी भू-जल मंथन-संगोष्‍ठी का उदघाटन करते हुए उन्‍होंने कहा कि इस काम में उनके मंत्रालय को ग्रामीण विकास, कृषि और पर्यावरण मंत्रालय का सहयोग भी अपेक्षित है। इस अवसर पर सुश्री भारती ने घोषणा की कि उन्‍होंने अपने मंत्रालय के सचिव को यह निर्देश दिया है कि वे भू-जल प्रबंधन के बारे में उपरोक्‍त तीनों मंत्रालयों के सचिवों के साथ बैठकर एक महीने के भीतर भू-जल प्रबंधन के बारे में एक पैकेज योजना तैयार करे। 
भूजल संरक्षण के क्षेत्र में इजराइल द्वारा हासिल की गई सफलता का उल्‍लेख करते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि हमें इस क्षेत्र में उस देश से बहुत कुछ सीखना है। उन्‍होंने कहा कि इजराइल में उपयोग में लाया जाने वाले जल का 62 प्रतिशत हिस्‍सा अपकृत (ट्रीटेड) जल होता है जबकि हमारे यहां इसकी मात्रा बहुत ही कम है। सुश्री भारती ने महाराष्‍ट्र के हेवड़े बाजार और पंजाब के सींचेवाल का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे देश में भी जल संरक्षण प्रयोग शुरू हो गए है लेकिन जरूरत इस बात की है कि जन संरक्षण को एक जन आंदोलन बनाया जाए। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने कहा, ‘’बड़े पैमाने पर बिना जल भागीदारी के जल संरक्षण जैसे विशाल कार्यक्रम को सफल बनाना नामुमकिन है। मैं समाज के हर वर्ग, हर समुदाय से अनुरोध करूंगी कि वे जल संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक बनाने में आगे आए।’’
अंतर राज्‍यीय नदी जल विवादों पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए सुश्री उमा भारती ने कहा कि हमें इस मामले में एक राष्‍ट्रीय दृष्टिकोण रखना होगा। उन्‍होंने कहा, ‘’इस तरह के विवाद के बीच मेरी हमेशा यह कोशिश रहती हैं कि संबंधित राज्‍य अपना पक्ष रखने की बजाय दूसरे राज्‍य के हित के बारे में सोचे, तभी हम इन समस्‍याओं को समुचित ढंग से सुलझा सकेंगे। जरूरत इस बात की है ओडिशा छत्‍तीसगढ़ की चिंता करे और छत्‍तीसगढ़ ओडिशा की, ऐसे ही तमिलनाडु कर्नाटक की और कर्नाटक तमिलनाडु की चिंता करे। 
ऐसे ही हम राष्‍ट्रीय एकात्‍मकवाद को बढ़ावा दे पायेंगे।‘’ कुछ राज्‍यों द्वारा अंधाधुंध जल दोहन पर चर्चा करते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने कहा कि भू-जल रिचार्ज के मामले में उनका मंत्रालय पहले उन राज्‍यों और क्षेत्रों को प्राथमिकता देगा जो प्राकृतिक सूखे के शिकार रहे है।
इससे पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज एवं पेयजल स्‍वच्‍छता मंत्री श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने कहा कि हमने जल समेत प्रकृति प्रदत्‍त संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करके मानवता के सामने अधिक संकट खड़ा कर दिया है। उन्‍होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम इस दिशा में गंभीरता से विचार करे और आने वाली पीढ़ी के लिए जल को संरक्षित करने के उपाय ढूंढें।
इस एकदिवसीय संगोष्‍ठी में देशभर से आये लगभग 1000 विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। संगोष्‍ठी में जलभृत मानचित्रण और भू-जल प्रबंधन से संबंधित विभिन्‍न मुद्दों और तकनीकियों पर चर्चा हुई। उदघाटन सत्र के बाद पांच विभिन्‍न विषयों पर तकनीकी सत्र भी आयोजित किए गए जिसमें भू-जल प्रबंधन से जुड़े विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, स्‍वयंसेवी संगठनों और अन्‍य एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पहला भू-जल मंथन पिछले वर्ष कुरूक्षेत्र हरियाणा में आयोजित किया गया था।

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