abslm 17-03-2017
संस्कृति मंत्रालय तथा डीम्ड यूनिवर्सिटी नव नालंदा महावीर द्वारा आयोजित तीन दिवसीय “अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन” का आज उद्घाटन हुआ। बिहार के राजगीर इंटरनेशनल बौद्धिस्ट कांफ्रेंस में बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा तथा संस्कृति तथा पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री एन के सिन्हा और नव नालंदा महावीर डीम्ड यूनिवर्सिटी के उप कुलपति श्री एम एल श्रीवास्तव भी मौजूद थे। इस अवसर पर बौद्ध भिक्षुओं द्वारा मंगला पथ का मंत्रोच्चारण भी किया गया।
अपने उद्घाटन संबोधन के दौरान दलाई लामा ने कहा कि सभी धार्मिक पंरपराओं की सच्चाई एक है जो कभी बदल नहीं सकती। इससे देश के साथ-साथ विश्व को भी प्यार और करुणा के माध्यम से शांति प्राप्त करने में मदद मिलेगी जो बौद्ध धर्म का प्रमुख सूत्र है। उन्होंने कहा कि हमें न केवल बुद्ध और उनकी शिक्षाओं के बारे में पढ़ना चाहिए बल्कि इसका अपने जीवन में प्रयोग और अनुभव भी लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंसा की तरह करुणा भी मानव का एक बुनियादी स्वभाव है। उन्होंने भावनाओं पर जोर देते हुए कहा कि हमारे अंदर जो नकारात्मक भावनाएं पैदा होती हैं उससे हम पीडित और बीमार हो जाते हैं। इसलिए हमें विपश्यना योग के माध्यम से मन को शुद्ध करना चाहिए।
डॉ. महेश शर्मा ने अपने भाषण में कहा कि नालंदा की पवित्र भूमि पर आने पर उन्हें अत्यधिक प्रसन्नता हुई है। उऩ्होंने कहा कि बुद्ध से संबंधित इस तरह के अधिकांश पवित्र स्थान उत्तर प्रदेश या बिहार में स्थित हैं। उन्होंने विश्व के सभी कोनों से आए हुए मेहमानों का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन सही मायने में भविष्य के लिए कुछ संदेश जरूर देगा।
संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री एन के सिन्हा ने धार्मिक गुरू तथा मंत्री महोदय और विश्व के 35 देशों से आए हुए प्रतिनिधियों का स्वागत किया।
संस्कृति मंत्रालय तथा डीम्ड यूनिवर्सिटी नव नालंदा महावीर द्वारा आयोजित तीन दिवसीय “अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन” का आज उद्घाटन हुआ। बिहार के राजगीर इंटरनेशनल बौद्धिस्ट कांफ्रेंस में बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा तथा संस्कृति तथा पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री एन के सिन्हा और नव नालंदा महावीर डीम्ड यूनिवर्सिटी के उप कुलपति श्री एम एल श्रीवास्तव भी मौजूद थे। इस अवसर पर बौद्ध भिक्षुओं द्वारा मंगला पथ का मंत्रोच्चारण भी किया गया।
अपने उद्घाटन संबोधन के दौरान दलाई लामा ने कहा कि सभी धार्मिक पंरपराओं की सच्चाई एक है जो कभी बदल नहीं सकती। इससे देश के साथ-साथ विश्व को भी प्यार और करुणा के माध्यम से शांति प्राप्त करने में मदद मिलेगी जो बौद्ध धर्म का प्रमुख सूत्र है। उन्होंने कहा कि हमें न केवल बुद्ध और उनकी शिक्षाओं के बारे में पढ़ना चाहिए बल्कि इसका अपने जीवन में प्रयोग और अनुभव भी लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंसा की तरह करुणा भी मानव का एक बुनियादी स्वभाव है। उन्होंने भावनाओं पर जोर देते हुए कहा कि हमारे अंदर जो नकारात्मक भावनाएं पैदा होती हैं उससे हम पीडित और बीमार हो जाते हैं। इसलिए हमें विपश्यना योग के माध्यम से मन को शुद्ध करना चाहिए।
डॉ. महेश शर्मा ने अपने भाषण में कहा कि नालंदा की पवित्र भूमि पर आने पर उन्हें अत्यधिक प्रसन्नता हुई है। उऩ्होंने कहा कि बुद्ध से संबंधित इस तरह के अधिकांश पवित्र स्थान उत्तर प्रदेश या बिहार में स्थित हैं। उन्होंने विश्व के सभी कोनों से आए हुए मेहमानों का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन सही मायने में भविष्य के लिए कुछ संदेश जरूर देगा।
संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री एन के सिन्हा ने धार्मिक गुरू तथा मंत्री महोदय और विश्व के 35 देशों से आए हुए प्रतिनिधियों का स्वागत किया।
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