abslm 30-05-2017 राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का महत्वपूर्ण फैसला
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से कहा है कि अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंधित कर्मचारियों पर दण्ड लगाने संबंधी किसी भी मामले की जांच करने के लिए बनाये जाने वाली समिति में अनुसूचित जनजाति समुदाय के कम से कम दो सदस्यों को रखा जाये। यह निर्णय आज यहां श्री नंद कुमार साई की अध्यक्षता में आयोग की एक बैठक में लिया गया।
आयोग के संयुक्त सचिव श्री सिसिर कुमार ने कहा कि आयोग ने यह फैसला किया है ताकि किसी भी अनुसूचित जनजाति कर्मचारी को प्राकृतिक न्याय से वंचित न होना पड़े। आयोग के सुझावों के अनुसार यदि अनुसूचित जनजाति अधिकारी विभाग या मंत्रालय में उपलब्ध न हों, तब अन्य विभागों से अनुसूचित जनजाति अधिकारियों को समिति में शामिल किया जा सकता है।
आयोग ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से यह भी कहा है कि वह सभी विभागों और मंत्रालयों को निर्देश जारी करे ताकि एनसीएसटी के अनुमोदनों पर आवश्यक कार्रवाई की जा सके। यदि विभाग के सामने कोई समस्या आती है तो उच्च न्यायालय में मामला ले जाने के पहले उन्हें संबंधित मंत्रालय से अनुमति लेनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि एक अन्य मामले में एनसीएसटी ने छत्तीसगढ़ के कांकेड़ जिले के पोरियाहुर गांव के कुपोषित अनुसूचित जनजाति बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने के मामले का स्वयं संज्ञान लिया था। आयोग ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अनुसूचित जनजाति बच्चों में कुपोषण के मामलों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए आयोग ने ऐसे मामलों के विस्तृत अध्ययन की सिफारिश की है। आयोग ने ग्रामीण विकास मंत्रालय से कहा है कि वह प्राथमिकता के आधार पर जनजातीय क्षेत्रों को सड़क मार्ग से जोडे ताकि जनजातीय बहुल क्षेत्रों में समय पर आवश्यक दवायें और खाद्य सामग्री पहुंचाई जा सके।
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