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प्रकाश जावड़ेकर ने रैगिंग से निपटने के लिए यूजीसी एप की शुरूआत की


 एप शिकायतों को दर्ज कराने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा

नईं दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप सरकार से राष्ट्रीय राजधानी में रेहड़ी पटरी वालों के कामों को विनियमित करने के लिए बने नियमों और योजनाओं की फिर से समीक्षा करते हुए उनकी परेशानियों पर विचार करने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति विनोद गोयल ने कुछ एनजीओ, व्यापारी संघों और कांग्रेस नेता अजय माकन के आरोपों के बाद ये निर्देश दिए हैं। इन्होंने आरोप लगाया कि रेहड़ी पटरी वालों की समिति गठित करने वाले कानून का सरकार ने उल्लंघन किया है क्योंकि इनमें रेहड़ी पटरी वालों के निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कीर्ति उप्पल और वकील अमान पंवार ने कहा कि कानून के अनुसार इन समितियों में 40 फीसदी रेहड़ी पटरी वाले होने चाहिए। वकील ने कहा कि दिल्ली सरकार का उनके सदस्यों के नामांकन द्वारा इन समितियों का गठन करने का फैसला वैधानिक योजना के विपरीत है।
इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि जब तक नियमों पर फिर से विचार किया जा रहा है तो रेहड़ी पटरी वालों की समस्याओं को सुलझाने का यह सुनहरा अवसर होगा।’’ पीठ ने कहा, ‘‘रेहड़ी पटरी वाले एक प्रतिनिधिमंडल बनाए जिनके नाम एक सप्ताह के भीतर सौंपे जाएंगे। मुख्यमंत्री :अरविंद केजरीवाल: के समक्ष इस प्रतिनिधित्व को रखा जाए जो इस पर विचार करेंगे और आवश्यक होने पर इसमें सुधार करेंगे, इन बदलावों को लागू करेंगे जो कानून के सुचारू संचालन में मदद करेंगे।’’

प्रकाश जावड़ेकर ने रैगिंग से निपटने के लिए यूजीसी एप की शुरूआत की

एप शिकायतों को दर्ज कराने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने आज नई दिल्ली में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी)  द्वारा निर्मित एक 'एंटी रैंगिंग मोबाइल एप' की शुरूआत की। इस अवसर पर श्री जावड़ेकर ने कहा इस मोबाइल एप्लिकेशन से छात्रों को रैगिंग की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
मंत्री महोदय ने कहा कि इससे पहले रैगिंग की शिकायत दर्ज कराने के लिए वेबसाइट का सहारा लेना पड़ता था और हमारे रिकॉर्ड से पता चलता है कि समय पर की गई कार्रवाई से ऐसे मामलों में कमी आई थी, लेकिन अभी भी इस तरह की समस्याओं का पूरी तरह से सफाया करने की जरूरत है।
श्री जावडेकर ने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार कॉलेज परिसरों में अधिकतर सीनियर छात्र अपने जूनियर छात्रों की मदद करते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं। लेकिन कुछ रैंगिंग के मामले भी आते हैं जिन्हें पूरी तरह से खत्म करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “नए छात्र को दी जाने वाली मानसिक या शारीरिक यातना रैंगिंग है जिसकी अनुमति नहीं दी जायेगी, यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है और इसीलिए यह एप इस तरह के अनुभव से गुजरने वाले युवाओं के लिए एक कारगर माध्य के रूप में कार्य करेगा।
मंत्री महोदय ने कहा कि यह एप एंड्रॉयड सिस्टम पर कार्य करेगा जहां छात्र तुरंत ही अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे। तदानुसार इस पर तुरंत कार्रवाई शुरू की जायेगी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से यह एक अच्छा कदम है और इससे छात्रों में सुरक्षा की भावना आयेगी। मंत्री महोदय ने स्पष्ट किया कि जो भी रैंगिंग के मामलों में शामिल होंगे उन्हें बख्शा नहीं जायेगा और उन्हें उस संस्थान में अपनी पढ़ाई जारी करने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा उन्हें इसके लिए कानून के मुताबिक सजा भी दी जायेगी। मंत्री महोदय ने उम्मीद जताई कि सीनियर छात्र अपने जूनियर छात्रों के लिए एक मार्ग दर्शक के रूप में कार्य करेंगे।



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