AABSLM

हमारी साइट में अपने समाचार सबमिट के लिए संपर्क करें

जीएसटी ने दुकानदारों, छोटे व्यापारियों, छोटे व लघु उद्योग, आम जनता व किसानों की रोजी-रोटी पर कड़ा प्रहार किया

abslm चंडीगढ़, 3 जुलाई-2017

भाजपा के जटिल एवं अधिक टैक्स वाले जीएसटी ने दुकानदारों, छोटे व्यापारियों, छोटे व लघु उद्योग, आम जनता व किसानों की रोजी-रोटी पर कड़ा प्रहार किया है। इस जीएसटी के माध्यम से दुनियाभर के देशों की तुलना में भारत में सबसे ज्यादा जीएसटी लागू कर दिया गया है। ये बात आज भिवानी में आयोजित ‘‘व्यापार बचाओं-दुकानदार बचाओ’’ सम्मेलन के दौरान कांग्रेस विधायक दल की नेता व पूर्व मंत्री किरण चौधरी ने व्यापारियों को संबोधित करते हुए कही। सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय जन उद्योग-व्यापार संगठन के तत्वाधान में किया गया जिसकी अध्यक्षता स्वर्णकार संघ के प्रधान प्रहलाद सोनी ने की। 
सिर्फ रिटर्न ही भरे या व्यापार भी करें व्यापारी?
देश में लागू की गई जीएसटी व्यवस्था के विरोध में सम्मेलन में उपस्थित व्यापारियों को संबोधित करते हुए किरण चौधरी ने कहा कि 5 टैक्स-स्लैब वाला (5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 28 प्रतिशत, 43 प्रतिशत) वर्तमान जीएसटी का स्वरूप एक तरफ किसानों, कपड़ा उद्योग, छोटे व लघु उद्योग को धक्का पहुंचाएगा, वहीं आम जनता के दैनिक उपयोग के सामान की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि करेगा। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार का जीएसटी सरल, पारदर्शी और सुविधाजनक था, जबकि भाजपा द्वारा लाया गया जीएसटी इतना उलझन भरा है कि इसमें टैक्सदाता साल में 37 बार रिटर्न भरने की भूल-भूलैया में उलझकर रह जाएगा। व्यापारियों की तकलीफ का अंदाजा इस बात से लगता है कि यदि कोई टैक्सदाता 36 राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों में व्यापार करता है तो उसे एक साल में 1332 रिटर्न भरनी होगी। उन्होंने कहा कि यदि वो रिटर्न भरता रहेगा तो फिर अपना व्यापार कब करेगा। 
दैनिक जरूरतों की वस्तुओं पर भारी टैक्स
जीएसटी के प्रावधानों की विस्तृत चर्चा करते हुए श्रीमती चौधरी ने रोटी, कपड़ा और मकान पर बेतहाशा टैक्स लगाने के लिए भाजपा सरकार की मंशा पर सवाल करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्तमंत्री अरूण जेटली देश की जनता को बताएं कि दैनिक उपयोग के सामान पर अत्यधिक टैक्स किस कारणवश लगाया गया है। श्रीमती चौधरी ने बताया कि भाजपा जीएसटी में शैंपू, डियोड्रंट, एसी, टीवी, वॉशिंग मशीन, फर्नीचर, कॅम्यूटर, मल्टीफंक्शन प्रिंटर, छोटी कारें, 100 रूपए से अधिक के फिल्म की टिकट, वाहनों पर ईएमआई, सीमेंट, चेस बोर्ड, योगा मैट पर 28 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाए गए है। इसी प्रकार फूड एवं बेवरेज, के्रडिट कार्ड द्वारा पेमेंट एवं सभी बैंकिंग सेवाओं, इंश्योरेंस, प्रीमियम, एवं वित्तीय सेवाओं, टेलीफोन, सेल फोन शुल्क, हेलमेट, कोचिंग क्लासेस, टूर एवं टै्रवल, एज्यूकेशन इंस्टीट्यूट एवं हॉस्पिटल, संपूर्ण विनिर्माण क्षेत्र, आईसक्रिम, हेयर आईल, टूथपेस्ट, साबुन, सूप, कॉर्न फ्लेक्स, टेक्सटाईल, मैनमेड फाईबर, डाईंग, एम्ब्रॉयडरी, होम लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल, मेडिसीन, इंश्योरेंस, फोटो-वोल्टेक सेल, मिनरल वाटर पर 18 प्रतिशत की दर से टैक्सभार डाला गया है। डायलिसिस, ब्लड टेस्ट, एक्स-रे, अल्ट्रासाऊंड जीवन रक्षक दवाईयों व स्वास्थ्य सेवाओं पर 12 से 18 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा। द्विव्यांगों के लिए बेहद जरूरी व्हील चेयर पर भी 5 प्रतिशत टैक्स लगा दिया गया है, जिससे सरकार की सोच का पता चलता है। श्रीमती किरण चौधरी ने टैक्स दरें निर्धारित करने में हुए मनमानेपन पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस बात का क्या तर्क है कि झींगों और मझलियों के अंड़ों के अचार पर तो 12 प्रतिशत का टैैक्स लगाया गया व मिनरल वाटर को 18 प्रतिशत की टैक्स दर में रखा गया और विदेशों से मंगाए जाने वाले आयातित फलों एवं सब्जियों पर कोई टैक्स नहीं रखा गया? इसी तरह बादाम एवं मेवों पर 12 प्रतिशत टैक्स लगाने और काजू को 5 प्रतिशत की टैक्स सीमा में रखने के पीछे क्या तर्क हो सकता है?

कपड़ा उद्योग पर सबसे कड़ा प्रहार
श्रीमती चौधरी ने कहा कि कपड़ा उद्योग देश में कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार पैदा करने वाला क्षेत्र है। जीएसटी की मनमानी ड्यूटी संरचना से इस सेक्टर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा और छोटे, लघु एवं मध्यम निर्माताओं, कारोबारियों, कपड़ा व्यापारियों तथा दुकानदारों की रोजी-रोटी बंद हो जाएगी। कांग्रेस विधायक दल की नेता ने कहा कि एक तरफ तो सरकार ने कपड़ा को 5 प्रतिशत की टैक्सदर रखकर भोलेभाले लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है, तो वहीं दूसरी तरफ हस्तनिर्मित फाईबर एवं धागों, डाईंग और प्रिंटिंग तथा एम्ब्रॉयडरी पर 18 प्रतिशत का ऊंचा टैक्स लगा दिया है। इससे छोटी, लघु तथा नॉन-इंटीग्रेटेड टैक्सटाईल कंपनियों का करोबार ठप्प पड़ गया जाएगा और कपड़ा और कपड़ा उद्योग की बड़ी कंपनियां भारी फायदा कमाएंगी। चौकानेवाली बात तो यह है कि एक तरफ भारतीय फैब्रिक, निर्माताओं पर बहुत ज्यादा टैक्स लगा दिया गया है, तो दूसरी तरफ भाजपा सरकार ने चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका और अन्य देशों से मंगाएं जाने वाले आयातित कपड़ें पर केवल 5 प्रतिशत का टैक्स लगाया गया है, जिससे भारत में कपड़ा उद्योग की स्थिती और ज्यादा खराब हो जाएगी। 
भाजपा का किसान विरोधी चेहरा सामने आया
किरण चौधरी ने कहा कि जहां भारत का किसान उचित एमएसपी तथा कर्ज के बोझ से मुक्ति पाने के लिए जूझ रहा है, वहीं भाजपा सरकार ने जीएसटी के माध्यम से किसान और खेती-बाड़ी पर दोहरी मार मारते हुए टैक्स लगा दिया है। ज्यादात्तर राज्यों में खाद्य पर 0 प्रतिशत टैक्स लगता था। पहले भाजपा ने खाद्य पर 12 प्रतिशत टैक्स लगाया, लेकिन कांग्रेस के विरोध के बाद इस टैक्स को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया। इसी तरह देश के किसानों की दूदर्शा पर आंखें मूंदते हुए कीटनाशकों पर 28 प्रतिशत का जीएसटी लगा दिया गया है जो कि चिंतनीय मुद्दा है। इतना ही नहीं सरकार द्वारा टै्रक्टर एवं सभी कृषि उपकरणों पर 12 प्रतिशत का जीएसटी लगा दिया गया तथा पीछले दरवाजे से टायरों, ट्यूब, इंजन और टै्रक्टर के ट्रांसमिशन के पुर्जों तथा अन्य कृषि उपकरणों पर 28 प्रतिशत का टैक्स थोप दिया गया, जिससे खेती-बाड़ी पर प्रभावी टैक्स 28 प्रतिशत हो जाएगा। इससे भाजपा का दोहरा चाल, चरित्र और चेहरा बेनकाब हो गया है। कृषि उत्पादों का भंडारण करके रखने तथा मेकेनाईज्ड फूड गं्रेस हैंडलिंग सिस्टम के लिए कोल्ड स्टोर एवं वेयर हाऊसों के निर्माण पर 18 प्रतिशत का जीएसटी लगाया गया है, जिसमें कृषि क्षेत्र पर टैक्स का भार बहुत अधिक बढ़ जाएगा। 
जीएसटी में संशोधन को सभी राजनैतिक को सभी राजनैतिक दलों के पूरे सहयोग के बावजूद भाजपा के अयोग्य नेतृत्व ने एक बिल्कुल अर्थहीन जीएसटी लागू कर डाला है, जो कि भाजपा के बड़ी-बड़ी बातें, काम कुछ नहीं की कार्यशैली का एक और उदाहरण है। किरण चौधरी ने कहा कि सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों का दायित्व बनता है कि वह विधानसभा एवं लोकसभा सदन में जनता की आवाज को उठाएं और जीएसटी में आवश्यक संशोधन करवाएं। सम्मेलन में उपस्थित व्यापारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार-संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कहा कि केन्द्र सरकार एक राष्ट्र व एक टैक्स की नीति का नारा देकर जनता के साथ दोहरा व्यवहार कर रही है क्योंकि सरकार ने अपने चहेते कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए पट्रोल व डीजल को जीएसटी से बाहर रखा है जो सीधे तौर पर सरकार की मानसिकता को दर्शाता है। सम्मेलन में अनाज मंडी पूर्व प्रधान हनुमान प्रसाद, जेपी कौशिक, पूर्व सीपीएस रामकिशन फौजी, शालू जैन, देवराज महता, विष्णु केडिया, सुंदर लाल अग्रवाल, बलवान सिंह, अजीत फौगाट, रामेश्वर दास, प्रहलाद कोकड़ा, गुलशन ग्रोवर, राजेश नागपाल, अनिल कानौडिया, भीमराय, सुशील सरदाना, अशोक गोयल, सूरज गांधी, इन्द्र कुमार केडिया, विजय किशन धारेडूवाला, राजकुमार मित्तल, औमप्रकाश महत्ता, रामप्रताप शर्मा, राजेश बेरीवाल, राजकुमार गर्ग, अमन गुप्ता, शैलेष गुप्ता, होशियार सिंह, मदन ठेकेदार, अमर सिंह सहित शहर के अनेक व्यापारी उपस्थित थे। 

निवेदन :- अगर आपको लगता है की ये लेख किसी के लिए उपयोगी हो सकता है तो आप निसंकोच इसे अपने मित्रो को प्रेषित कर सकते है