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महिला सुरक्षा और सम्मान का माहौल समाज में नहीं बन पा रहा है- राजेन्द्र मोदी

 अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस


abslm 26/11/2020

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2019 में भारत मे औसतन 87 बलात्कार रोज़ाना दर्ज किए गए । जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 7.3 % अधिक है । यह शर्मनाक है -  लेकिन सत्य है ।

यदि हमें वास्तव में महिलाओं के खिलाफ इस तरह की नृशंश घटनाओं को रोकना है तो उनके प्रति समाज में सम्मान और सुरक्षा का भाव कूट कूट कर भरना होगा, न कि नेताओं की तरह केवल भाषणबाज़ी । क्योंकि यही नेता लोग न केवल ऐसे अपराधियों को बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं बल्कि ऐसे अपराधी इन्ही लोगों के संरक्षण में पलते-बढ़ते हैं ।

हमें हर आयु वर्ग के महिला और पुरुष दोनों को ये शपथ/संकल्प दिलाने होंगे कि वे हर हाल में न केवल महिलाओं का सम्मान करेंगे बल्कि उन्हें सुरक्षा देने में/दिलाने में बखूबी अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाएंगे ।

प्रत्येक उस पुरुष को जो पिता,पति,पुत्र, मित्र या पड़ौसी के रूप में ही नहीं बल्कि किसी भी रिश्ते या  रिश्तेदार के रूप में नारी जगत में रह रहा है, उसे हर घंटे और हर पल इस दिवस का स्मरण रहना चाहिए । और यह तभी संभव है जब वह इस तरह से संस्कारित हो कि उसकी अंतरात्मा ही किसी महिला के प्रति बुरा सोचने या करने से इनकार कर दे ।

क्योंकि महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने के लिए कानून तो सख्त हुए हैं, फांसी की सजा का प्रावधान भी है, फिर भी महिला सुरक्षा और सम्मान का माहौल समाज में नहीं बन पा रहा है । उन पर हिंसा और अपराध का दौर आज भी जारी है ।

आंकड़े इतने भयावह हैं कि विश्व भर में  हर साल लगभग डेढ़ करोड़ किशोर लड़कियां कभी न कभी यौन उत्पीड़न की शिकार होती हैं । इसलिए आवश्यकता ही नहीं बल्कि अति आवश्यकता इस बात की है कि हमें अब हर दिन महिला दिवस मनाना चाहिए ।

हमें अपने बेटों को कम उम्र में ही इस बारे में समझाना होगा । और हम जो संकल्प लेते हैं तो उस संकल्प के प्रति हमारी निष्ठा होनी चाहिए । और आज के दिन इसकी चर्चा घर से ही करनी चाहिए । पुरुषों के लिए यह जरूरी है कि वे सिर्फ स्वयं को श्रेष्ठ समझने की भूल कदापि न करें । हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि प्रत्येक स्त्री का अपना स्वाभिमान, अपना सम्मान है । वह किसी पर आश्रित रहे बिना भी जीवन व्यतीत कर सकती है । इसलिए हमें महिलाओं को संरक्षण तो देना ही है लेकिन शोषण की चक्की में पीसते हुए कदापि नहीं । हमें वास्तव में यह समझना होगा कि महिला मा जगदंबा का रूप है, वह अपने आप में सम्पूर्ण है और सर्वश्रेष्ठ भी, उसे किसी पुरुष से मिले किसी तमगे की कोई आवश्यकता नहीं है । क्योंकि हमारा दिमाग गंदगी और गंदे विचारों से मुक्त होगा तभी हम स्वच्छ और स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकेंगे ।

 राजेन्द्र मोदी, स्वतंत्र पत्रकार एवं एडवोकेट जयपुर

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