अब अध्यात्म बना बोट मांगने का धंधा,पूर्व काल में धर्मशास्त्र वेद पुराण कथा भागवत सब कुछ जितना भी अध्यात्म क्षेत्र है वो जन कल्याण और मानव जाति के उद्धार और उत्थान हेतु किया जाता था,लेकिन आज अध्यात्म एवम धर्म शास्त्र बेद पुराण कथा भागवत सब कुछ सत्तर फीसदी ज्ञान उपदेश का उद्देश्य राजनेतिक स्वार्थ से जुड़ा हुआ है,दुनिया के ज्यादातर धर्म गुरु ,उपदेशक अपना ज्ञान उपदेश केवल राजनीति के लिए परोस रहे हैं,जान कल्याण से उनका कोई लेना देना नहीं है,क्योंकि आजकल जितने भी धर्म शास्त्र है फिर चाहे वो किसी भी समुदाय विशेष के हो उनकी वास्तविकता को छुपाकर और बेद पुराण को तोड़ मरोड़ कर राजनीति के लिए अपने हिसाब से मनुष्य के सामने प्रस्तुत किया जा रहा है,धर्म उपदेशक और बड़े बड़े अध्यात्म ज्ञान बाटने वाले भी केवल राजनीति से प्रेरित होकर ही अपना अध्यात्म ज्ञान परोस रहे हैं,जबकि अध्यात्म और राजनीति का तो ३६ का आंकड़ा है, परंतु, आज सच्चाई यही है कि अध्यात्म का अर्थ मनुष्य के मन मस्तिष्क में राजनेतिक जहर घुमा फिरा कर डाला जा रहा है,जिसका परिणाम सिवाय हिंसा घृणा और अराजकता के अलावा कभी भी जनकल्याण नही हो सकता,और ना ही कोई संस्कार वान बन पाएगा,क्योंकि बुखार की औषधि से जैसे किसी चोट का घाव स्वास्थ नही हो सकता,उसी तरह अध्यात्म और धर्म उपदेश के नाम पर राजनेतिक जहर परोसने से कभी जन कल्याण संभव नहीं है,दुनिया के जितने भी धर्म शास्त्र है वो केवल प्रेम भाव और एकता का संदेश देते हैं कभी भी अध्यात्म मार्ग हिंसक और राजनेतिक नही हो सकता है,जय हिन्द जय भारत,*लेखक बलदेव चौधरी
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