abslm 9/10/2023 एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि हमें ऐसे सुन्दर और बेहतरीन कार्य करने चाहिए ताकि जीवन की एक सुंदर कहानी लिखी जा सके। मन, वचन और काया तीनों से आत्मा का फायदा भी है और नुकसान भी है। कुंआ प्यास बुझाने के लिए होता है लेकिन कोई मुर्ख उसमें डूबकर भी मर सकता है। चाकू डाक्टर के हाथ में हो तो वह ऑप्रेशन करेगा लेकिन मुर्ख के हाथ में हो तो उससे किसी का कत्ल कर देगा। जब एटम बम बनाया गया तब सोचा गया था कि इससे शांति बनी रहेगी लेकिन उसका गलत प्रयोग किया गया। अगर मन शुद्ध होगा तो ही मन से मुक्ति मिल सकती है। नहीं तो इंसान नरक के रास्ते पर जा सकता है। मन के विचारों से मनुष्य अनादिकाल से जन्म-मरण के चक्कर में फंसता चला आ रहा है। मन के 9 द्वार हैं। मन से गंदगी निकलती है लेकिन शरीर इतना गंदा नहीं है। मन के द्वारा ही सबसे अधिक पाप होते हैं। मन में अगर सुविचार आएंगे आम्त्मा का कल्याण निश्चित है। मन को ज्यादा बंधनों में मत डालो और मन को हमेशा मुक्त बनाकर रखो। अगर हम ऐसा करेंगे तो मन अलग-अलग सोचने की प्रवृति में नहीं रहेगा। एक अच्छी शुरूआत के लिए रास्ता सहीं होना चाहिए। अगर मनोबल दृढ़ हो तो जीत निश्चित है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं कि जो बात हम सुने और देखें वो बिल्कुल सही हो। पहले बात को समझना और परखना चाहिए और फिर उस बात का अर्थ निकालकर उस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आत्मा और मन में युद्ध शुरू हो जाता है तो मन गलत दिशा में जाता है। सयंम पथ ही आत्मा का धर्म है। मनुष्य को अपनी आत्मा को मंदिर के समान बनाना चाहिए। जब मन शांत होगा तो विषय और कषाय आत्मा को परेशान नहीं करेंगे। जब मन शांत होगा तो दुख अपने आन ही दूर हो जाएंगे।
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