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भगवान राम के चरित्र का जितना अध्ययन किया जाए, उतना कम: दीपक भाई जोशी

ABSLM 28/3/2024 एस• के• मित्तल 

सफीदों,  वेदाचार्य दण्डीस्वामी डा. निगमबोध तीर्थ महाराज जी के परम् सान्निध्य में नगर की गुरूद्वारा गली स्थित श्री शिव शक्ति कृपा मन्दिर एवं हरि संकीर्तन भवन में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भागवत भास्कर दीपक भाई जोशी (श्री वृंदावन धाम) ने कहा कि भगवान का भजन भले ही कुछ क्षणों के लिए करें, मगर पूरे ध्यान से करें तो मन को नियंत्रण में रखें। उन्होंने कहा कि एक क्षण का महत्व अगर समझना है तो रामायण के उस प्रसंग को समझें, जिसमें कुछ क्षण पूर्व भगवान राम को अयोध्या का राजपाठ मिल रहा था और कुछ क्षण बाद ही सब कुछ बदल जाता है। रामजी को 14 वर्ष के लिए बनवास जाना पड़ता है। भगवान राम के धरती पर अवतरण का उद्देश्य ही वनगमन है, क्योंकि बिना वन में जाए वह दुष्टजनों का संहार कैसे करते। भगवान राम के चरित्र का जितना भी अध्ययन किया जाए, उतना ही ज्यादा जानने का मन होता है। भगवान की कृपा और ममता की कहीं कोई कमी नहीं है।



 कमी है तो हमारी पात्रता में, हमारी तपस्या में, हमारी आराधना में। हम जैसा बोएंगे, वैसा ही काटेंगे। उन्होंने कहा कि मनुष्य जिन गुण, कर्म व स्वभाव को धारण करने से मनुष्य कहा जाता है उनमें से एक गुण दया भी है। दया दूसरे मनुष्यों व प्राणियों पर दया, प्रेम, सहानुभूति, हित कामना रखने को कहते हैं। ईश्वर का एक गुण दयालु या दयावान होना है। ईश्वर हम पर दया करता है। इस दया के गुण के कारण ही उसने जीवात्माओं का कल्याण करने के लिये इस अत्यन्त विशाल ब्रह्माण्ड व सृष्टि की रचना की है।

फोटो कैप्शन 27एसएफडीएम2.: श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भागवत भास्कर दीपक भाई जोशी।


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