ABSLM 29/3/2024एस• के• मित्तल
सफीदों, वेदाचार्य दण्डीस्वामी डा. निगमबोध तीर्थ महाराज जी के परम् सान्निध्य में नगर की गुरूद्वारा गली स्थित श्री शिव शक्ति कृपा मन्दिर एवं हरि संकीर्तन भवन में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भागवत भास्कर दीपक भाई जोशी (श्री वृंदावन धाम) ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सुनकर मनुष्य के मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। श्रीमद्भागवत कथा सुनना और सुनाना दोनों ही मुक्तिदायक है तथा आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है। इसलिए श्रीमद् भागवत पुराण को मुक्ति ग्रंथ कहा गया है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा जीवन-चक्र से जुड़े प्राणियों को उनकी वास्तविक पहचान करता है। आत्मा को अपने स्वयं की अनुभूति से जोड़ता हैं। सांसारिक दुख, लोभ-मोह- क्षुधा जैसी तमाम प्रकार की भावनाओं के बंधन से मुक्त करते हुए नश्वर ईश्वर तथा उसी का एक अंश आत्मा से साक्षात्कार कराता है। इस कलियुग में मनुष्य अपने भावों को सत्संग के जरिए ही स्थिर रख सकता है।
भगवान इस धरती पर बार-बार इसलिए आते हैं ताकि हम कलियुग में उनकी कथाओं में आनंद ले सकें और कथाओं के माध्यम से अपना चित्त शुद्ध कर सकें। उन्होंने कहा कि कथा से चरित्र और आचरण का निर्माण होता है। अपने देश में चरित्रवान की पूजा होती है और चरित्रवान व्यक्ति महान होता है। मानव जीवन की राह आसान करने के लिए श्रीमद् भागवत कथा श्रवण नितांत आवश्यक है। समाज से राग, द्वेष व हिंसा आदि विकृतियों को दूर करने के लिए आपसी सौहार्द प्रेम व सौहार्द की जरूरत है। समाज में सौहार्द की स्थापना सतसंग व मानव के अंदर मानवता का संचार करके ही हो सकती है।
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