abslm 22/3/2024 एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर के श्री हरि संकीर्तण भवन में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए वेदाचार्य दण्डी स्वामी निगमबोध तीर्थ महाराज ने कहा कि हर मनुष्य को अपना उद्धार करने के लिए अपना मन प्रभू भक्ति में रमाना होगा। ईश्वर को पाने के लिए कहीं भी भटकने की आवश्यकता नहीं है। अपने हृदय रूपी मंदिर को शुद्ध व पवित्र बनाइए, क्योंकि हमारे हृदय में ही ईश्वर का वास है। वह सृष्टि के कण-कण में विराजमान है। उसकी छवि प्रकृति के हर कण में, हर जीव में देखी जा सकती है। अपने घर में शांतिपूर्वक बैठकर, मन को एकाग्र करके, ध्यान लगाने से या ईश आराधना करने से वह सरलता से मिल जाता है। ईश्वर का स्मरण करने के लिए न कोई आयु होती है और न कोई समय। भक्त प्रह्लाद और ध्रुव के उदाहरण हमारे समक्ष हैं। दिन-रात, चौबीसों घंटे, आठों प्रहर प्रभु का नाम जपा जा सकता है।
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