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हमें अपनी पुरातन संस्कृति से जुड़ना होगा: निगमबोध तीर्थ

27/3/2024 एस• के• मित्तल  

 

सफीदों,  नगर की गुरूद्वारा गली स्थित श्री शिव शक्ति कृपा मन्दिर एवं हरि संकीर्तन भवन में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए वेदाचार्य दण्डीस्वामी डा. निगमबोध तीर्थ महाराज ने कहा कि अगर मनुष्य को अपनी आने वाली पीढ़ियों को लायक बनाना है तो उसे अपनी पुरातन संस्कृति से जुड़ना होगा, संतों की शरण में जाना होगा, धर्म ग्रंथों को पढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि हमें अपने माता-पिता व बुजुर्गों का मान-सम्मान करना चाहिए तथा उनकी बताई गई बातों का मानना चाहिए। जिस घर में बुजुर्गों का सम्मान नहीं, उनकी पूजा भगवान भी कभी स्वीकार नहीं करते हैं। सेवा व सिमरन से भक्ति रूपी रतन की प्राप्ति होती है। भगवान को निर्मल मन अति प्रिय है इसलिए मन को सुमन बनाकर भगवान के श्री चरणों में भेंट करें।


उन्होंने कहा कि गुरु के बिना जीवन अधूरा है। जिस व्यक्ति का कोई गुरु नहीं, वह परमात्मा से कभी नहीं मिल सकता। गुरु की अंगुली पकड़कर ही परमात्मा से मिला जा सकता है। जीवन में सुख-दुख आते रहते हैं अंधकार के बाद प्रकाश का आना प्रकृति का नियम है। उसी प्रकार सुख के बाद दुख भी जीवन में आते हैं। उन्होंने कहा कि जब किसी कर्म को करने से हमारी अंतरात्मा प्रसन्न हो और हमें उत्साह का बोध हो तो ऐसे कर्म को अवश्य करना चाहिए। ऐसा कर्म ही पवित्र कर्म है। हमें ऐसा कोई कर्म नहीं करना चहिए, जिससे कि हमें लज्जित होना पड़े। कर्म करने से पहले आत्मा की आवाज जरूर सुनें।

फोटो कैप्शन 26एसएफडीएम11.: श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए वेदाचार्य दण्डीस्वामी डा. निगमबोध तीर्थ महाराज।

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