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गुरु मनुष्य और ईश्वर को मिलाने वाला सेतू हैं

abslm  23/07/2024



लायन्स क्लब सिरसा अमर के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी रमेश साहुवाला ने गुरु पूर्णिमा की सिरसा वासियों को बधाई देते हुए कहा हैं कि परम गुरु मनुष्य और ईश्वर को मिलाने वाला सेतू हैं जो परमात्मा का साक्षात करवाकर जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति प्रदान करता हैं और हमारे जीवन को आनंदित करता हैं। उन्होंने कहा कि गुरु की उपाधि परमात्मा से भी उपर हैं और जब मनुष्य के हृदय में परमात्मा के पाने की इच्छा पैदा होती हैं तब वह गुरु की शरण में चला जाता हैं तब गुरू उसे सही मार्ग पर ले जाकर लक्ष्य तक पहुंचा देता हैं।

श्री साहुवाला जी ने कहा कि गुरु की कृपा से हम भूल की पहचान कर सकते हैं और हमारे मन में कोई शंका होती हैं तो उसका निवारण भी गुरु के द्वारा ही सम्भव हैं। उन्होंने कहा कि गुरु भव लोगो की संजीवनी बूटी के समान हैं और वह प्रेम हैं तथा सुगंध का झोंका हैं और ईश्वर का प्रतिबिम्ब हैं तथा हमारे जीवन का लक्ष्य हैं और जीवन का सर्वस्व हैं इसलिए हमें गुरु के चरणों में जाना अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि जब आपके जीवन में गुरु आता हैं तब किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती और आप छोटी-छोटी बातों की शिकायत भी नहीं करते तथा ऐसी ताकत और बिखरता मिलती हैं कि जो भी आप सोचते हो वह आपको मिलता चला जाता हैं।
उन्होंने कहा कि जब सारी दुनिया आपको कमजोर करने पर तुली हो तब उस समय हिम्मत मत हारो और गुरू की शरण में जाकर अपनी काबिलियत को इतना बढ़ाओं कि लोग दांतों तले उंगली दबाते रह जाएं। उन्होंने कहा कि सद्गुरू से मोहब्बत कोई बारिश का नाम नहीं जो बरसे और थम जाएं, उससे मोहब्बत सूरज भी नहीं जो चमके और डूब जाए बल्कि सद्गुरू से मोहब्बत तो नाम हैं सांस का, जो चले तो जिन्दगी और रूके तो मौत बन जाए इसलिए खुद पर हमेशा विश्वास रखें और अपने गुरू पर आस्था रखे फिर चाहे कितनी भी जीवन में बाधा आ जाए अपने आप गुरू रास्ता दिखा देता हैं।
इस अवसर पर श्री साहुवाला जी ने कहा कि  गुरू के पास बैठकर ही पवित्रता का बोध हो सकता हैं तथा गुरू ही हमें जीवन के वास्तविक स्वरूप की पहचान करवाते हैं और उसी के माध्यम से हम परमात्मा के दर्शन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिष्य अपने जीवन में पूर्णता तभी पा सकते हैं जब वह गुरू के ऋण से उऋण होता हैं। उन्होंने कहा कि गुरू ही हमारे भीतर अज्ञान व अहंकार दूर करके हमें प्रचार की और ले जाता हैं।
इस अवसर पर सभी मित्रों ने परम गुरू ओशो के चित्र पर फूल अर्पित करके उनकी आराधना की। उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा का यह पावन पर्व हमारे जीवन में गुरुओं के महत्व को दर्शाता हैं। गुरू, जो हमें ज्ञान की रोशनी दिखाते हैं और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं, उनके बिना हमारा जीवन अधूरा हैं। आइए इस पवित्र दिन पर हम अपने गुरुओं को नमन करें और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लें।

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